Veer Savarkar Jayanti: वीर सावरकर की जयंती 28 मई को हर साल मनायी जाती है. उनका जन्म साल 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक साधारण से परिवार में हुआ था. आगे चलकर उन्होंने पूरे देश में महान क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ, लेखक, वकील और अन्य कई महान कार्यों को करके अपनी पहचान बनाई जिससे उनका नाम इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया. वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदार सावरकर था, जिन्हें लोग आज भी स्वतंत्रता के आंदोलन के लिए याद रखते हैं. उनकी जयंती के मौके पर आज उनके जीवन से जुड़ी 10 जरूरी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं.
संघर्ष भरा रहा पूरा बचपन
वीर सावरकर का परिवार बहुत साधारण सा था. उनके परिवार में उनके पिता दामोदार पंत सावरकर और मां राधाबाई और एक बड़े भाई गणेश रहते थे. जब विनायक केवल 8 वर्ष के थे तो उनकी माता का निधन हो गया था. जिसके बाद उन्हें गहरा सदमा लगा. इसके 7 साल बाद उनके पिता की भी मृत्यु हो गई, जिसके बाद मानो उनके जीवन में भूचाल आ गया. यहीं से शुरू हुआ उनके जीवन का कड़ा संघर्ष.
वीर सावरकर के जीवन से जुड़ी 10 जरूरी बातें
1.हमारे राष्ट्रध्वज तिरंगे के बीच में धर्म चक्र को लगाने का सुझाव सबसे पहले वीर सावरकर ने ही दिया था. बाद में इसे राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की मंजूरी भी मिल गई.
2. वीर सावरकर राष्ट्रीय आंदोलन में उभरे पहले क्रांतिकारी थे जिन्होंने देश के चहुमुखी विकास करने की दिशा में सोचना शुरू किया साथ ही जेल से आने के बाद ही उन्होंने अस्पृश्यता और सामाजिक भेदभाव जैसी कुरीतियों के खिलाफ प्रखरता से आंदोलन चलाए.
3. वो एक क्रांतिकारी होने के साथ एक कवि भी थे. वीर सावरकर ने अंडमान के कारावास में जेल की दीवारों पर कोयले और कीलों से कविताएं लिखीं. साथ ही वो उन पंक्तियों को दोहराते भी थे साथ ही जेल से छूटने के बाद उन्होंने इन कविताओं को दोबारा लिखा.
4. विनायक को लिखने-पढ़ने का शौक बचपन से ही था, बाद में उन्होंने एक पुस्तक ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंट 1857’ लिखी. इस किताब ने अंग्रेजों की जड़े अंदर तक हिला दी थी.
5. अपने शुरूआती जीवन में जब विनायक ने अपनी मैट्रिक कक्षा की पास की थी, उसी बीच कम उम्र में यमुनाबाई से उनका विवाह हो गया था.
6. वीर सावरकर ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने अकेले अपने जीवनकाल में 2 बार जेल में सजा काटी. यह सजा आजीवन कारावास की थी. अपनी सजा पूरी होने के बाद भी उन्होंने निडरता के साथ राष्ट्र को ही पहले चुना.
7. वीर सावरकर ही वो पहले भारतीय थे जिन्होंने सबसे पहली बार अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करते हुए विदेशी कपड़ों की होली जलाई, इस घटना ने कई लोगों का ध्यान अपनी तरफ खीचा था.
8. विनायक दामोदर का जीवन आर्थिक तंगी में बीता मगर इसे कभी उन्होंने अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. खूब मन लगाकर पढ़ाई की. उन्होंने इंग्लैंड के राजा के प्रति वाफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया था जिस वजह से उन्हें वकालत की डिग्री करने से रोक दिया गया.
9. सावरकर की दिलचस्पी राजनीति में भी रही थी, साल 1904 में उन्होंने खुद का एक गठन बनाया जिसका नाम अभिनव संगठन रखा गया. इसका उद्देश्य युवाओं को धर्मनिरपेक्षता, स्वदेशी और राष्ट्र एकता जैसे विषयों के प्रति युवाओं को जागरूक भी करना था ताकि स्वतंत्रता कि चिंगारी शोला बनकर उनके अंदर भी दहके.
10. उन्होंने अपनी ‘आत्मकथा मेरा आजीवन कारावास’ नामक पुस्तक लिखी. जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी के कई साल पहलुओं के बारे में खुलकर अपने विचार पाठकों तक पहुंचाए हैं.
भारत के इस वीर सपूत और महान क्रांतिकारी वीर सावरकर का निधन 26 फरवरी साल 1966 में हुआ था.