आयुषी दवे
दुनिया और कितनी गर्मी झेलने को तैयार है? यह सवाल बेहद गंभीर है और लोग इससे कब तक बेखबर रहेंगे यह समझ से परे है. अब तो इंसान क्या दूसरे जीव, जन्तु भी गर्मी से बेहाल होकर इस कदर बेकाबू हो रहे हैं कि कई तरह की तबाहियों का कारण बने हुए हैं. लेकिन हम हैं कि अपनी प्यारी धरती की तपिश को बजाए कम करने के और बढ़ाए जा रहे हैं. दुनिया में क्या धरती का तापमान बढ़ाकर ही विकास की कहानी लिखी जा सकती है?