Arundhati Roy: वो वक्त साल 2010 का था जब आजादी-द ओनली वे के नाम से एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था. इसमें अरुंधति रॉय और प्रो. शौकत हुसैन ने भाग लिया था. वहां दौरान दिए गए भड़काऊ और भारत विरोधी भाषण दिया गया था जिसे लेकर अब एक्शन लिया गया है. बता दें कि हाल ही में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर सेंट्रल युनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेस डा. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ 14 पुराने मामले के तहत यूएपीए (गैरकानूनी रोकथाम अधिनियम) की धारा 45(1) के तरह मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी गई है.
इस बयान के तहत हुई कार्यवाही
सुशील पंडित की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के बोलने पर एफआईआर दर्ज की गई थी. उस दौरान उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया गया था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुधति रॉय सहित की वक्ताओं ने अपने भाषणों से देश की शांति और सुरक्षा को खतरे में डाला. उन्होंने कश्मीर को भारत से अलग करने के साथ अलगाववादी विचारधारा को बढ़ाने का प्रयास किया. अरुंधति रॉय की तरफ से उस वक्त अपने भाषण में कहा गया था कि कश्मीर कभी भारत का हिस्सा था ही नहीं, साथ ही वहां पर भारत के सशस्त्र सुरक्षा बलों की तरफ से जबरन कब्जा किया हुआ है. इस बयान के अधार पर उस वक्त उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
इन धाराओं के तहत हो सकती है कार्यवाही
10 साल बाद यूएपीए के साथ-साथ कई अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है. इसे कई बिंदुओं के माध्यम से नीचे बता रहे हैं.
1. यूएपीए की धारा 13 के तहत गैरकानूनी गतिविधियों को उकसाने, प्रेरित करने के लिए अधिकतम 7 सालों की सजा का प्रावधान है.
2. आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 124A राजद्रोह, 153A, 153B, 504, 505 और यूएपीए की धारा 13 के तहत मुकदमा चल सकता है.
3. आईपीसी की धारा 153A धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समुदायों में वैमनस्यता बढ़ाना और सद्भाव बिगाड़ने से संबंधित है.
4. आईपीसी की धारा 153B राष्ट्र की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने से संबंधित है. आईपीसी की धारा 504 किसी को जानबूझकर अपमानित करना या उकसाना.
UAPA एक्ट क्या है जिसके तहत चलेगा मुकदमा
आपको बता दें कि UAPA एक्ट साल 1967 में बना था. कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 2008 और 2012 में इसमें संशोधन कर इसे और सख्त बना दिया. इसके बाद मोदी सरकार ने 2019 में इसमें और संशोधन कर इसके प्रावधानों को और कड़ा किया गया. इस काननू के अमुसार, ‘भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को संकट में डालने या ऐसा करने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य, भारत या विदेश में रहते हुए नागरिकों या किसी तबके में आतंक फैलाने या ऐसा करने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य आतंकवादी कृत्य बताया गया है’. इस परिभाषा में बम धमाकों से लेकर जाली नोटों का कारोबार तक शामिल है.
कौन हैं अरुंधति रॉय?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर अरुंधति रॉय कौन है तो यहां यह जानना जरूरी है कि अरुंधति रॉय एक प्रसिद्ध लेखिका हैं. उन्होंने अपनी पहली किताब ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ लिखी थी जिस पर इनको 1997 में बुकर प्राइज मिला था. वह बुकर प्राइज जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. टाइम मैग्जीन ने साल 2014 में अरुंधति रॉय को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की अपनी सूची में जगह दी थी. दुनिया के प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनके लेख प्रकाशित होते रहते हैं. सितंबर 2023 में उन्हें, 2021 में प्रकाशित उनके निबंध संग्रह ‘आजादी’ के लिए 45वें यूरोपियन डे ल’एसाई लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. इसके इतर कश्मीर और भारतीय सेना को लेकर उनके बयान हमेशा ही विवाद का विषय बनते रहते हैं.