तमिलनाडु: स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र अब माथे पर तिलक और हाथों में कलावा पहनकर स्कूलों में प्रवेश नहीं कर सकेंगे साथ ही अपने नाम के साथ सरनेम भी नहीं जोड़ सकेंगे. यह नियम कहीं और वहीं बल्कि तमिलनाडु सरकार की तरफ से लाया जाने वाले हैं. सीएम एमके स्टालिन की तरफ यह फैसला प्रदेश के स्कूलों में बढ़ते जातिवाद के विवादों के लिए लिया गया है. इस नियम को लाने के सरकार की तरफ से लगभग सारी तैयारी पूरी हो चुकी है.
दरअसल इस नियम को लाने के लिए सरकार की तरफ से पिछले लंबे वक्त से तैयारियां की जा रही थी जिसमें अब गठित की गई समिति की तरफ से 610 पन्नों की रिपोर्ट भी पूरी कर ली गई है. हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस के. चंद्रू की अध्यक्षता वाली इस समिति की तरफ से मुख्यमंत्री को कई तरह के सुझाव दिए गए हैं. इसमें भेदभाव को दूर करने के लिए छात्रों को जाति सूचक कलाई में बैंड, माथे पर तिलक (कोई अन्य निशान) लगाने पर रोक लगाने को बोला गया है. इसके साथ ही चित्र पर बैन लगाने की सिफारिश की गई है.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त के महीने में नांगुननेरी, तिरुनेलवेली के एक स्कूल में एक अनुसूचित जाति समुदाय के भाई बहन के साथ जातिगत भेदभाव के चलते हमला किया गया था. इसे लेकर जब विवाद हुआ तो यह मुद्दा और भी ज्यादा भड़क गया. इस मामले पर सरकार की तरफ से एक्शन लेते हुए समिति बनाने की बात कही थी.
सामने आई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर कोई बच्चा इन नियमों का पालन नहीं करता है या फिर उनका उल्लंघन करता है तो उस पर कार्यवाही की जाएगी. साथ ही 500 से ज्यादा छात्रों की संख्या वालों के स्कूल में एक कल्याण अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा . नहीं कक्षा 6 से 12 तक के स्कूलों में जातिगत भेदभाव, यौन उत्पीड़न और एससीएसटी जैसे कार्यक्रमों को अनिवार्य रूप से दिखाया जाए.