गुवाहाटी: विश्व प्रसिद्ध अंबुबासी मेला शुरू होने के बाद बुधवार को कामाख्या मंदिर की शुद्धि हो गई और श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का पट खोल दिया गया. कई दिनों से कतार में खड़े श्रद्धालुओं को मां कामाख्या पीठ को छूने का मौका भी मिला.
गुवाहाटी स्थित मां कामाख्या मंदिर में शनिवार से विश्व प्रसिद्ध अंबुबासी मेला शुरू हो गया था. शनिवार की सुबह 8.43 बजे मां कामाख्या मंदिर का पट बंद हो गया था. 25 जून यानी मंगलवार की शाम 9.07 बजे अंबुबासी की निवृत्ति हो गयी. इसके बाद रजस्वला हुईं मां कामाख्या की शुद्धि हो गई. मंदिर की साफ सफाई के बाद बुधवार की सुबह से मंदिर का दरवाजा फिर से दर्शन के लिए खोल दिया गया.
क्या है कामाख्या मंदिर की परंपरा
मां कामाख्या के रजस्वला होने के उपलक्ष्य में यहां हर वर्ष 22 जून से अंबुबासी मेले का आयोजन होता है. इसी प्रथा के कारण असम में बच्चियां जब पहली बार रजस्वला होती हैं तो उसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसे तुलनी वियाह के नाम से जाना जाता है. इस अवधि में मंदिर की साफ-सफाई के अलावे कोई पूजा अर्चना नहीं की जाती है. पूरे असम में इन चार दिनों तक अशुद्धि मानी जाती है. राज्य के सभी मंदिरों के साथ ही लोगों के घरों में भी इस अवधि में पूजा पाठ बंद रहता है.
अंबुबासी मेले के दौरान प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त देश-विदेश से यह पहुंचे हैं. असम सरकार के विभिन्न विभागों ने अंबुबासी मेले के लिए एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं. विभागीय कर्मचारी एवं अधिकारियों को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया. अलग-अलग टुकड़ियों में सरकारी कर्मचारी कामाख्या रेलवे स्टेशन, गुवाहाटी रेलवे स्टेशन, पांडू, कामाख्या गेट के साथ ही कामाख्या मंदिर परिसर में तैनात किए गए. पूर्वोत्तर सीमा रेलवे द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अंबुबासी मेले के दरमियान विशेष जनरल ट्रेन चलाया गया. इस दौरान पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी नहीं हो इसके लिए हर संभव उपाय किए गए. इस बार लोगों के लिए जूता-चप्पल रखने का प्रबंध नीलांचल पहाड़ के नीचे ही किया गया. नवनिर्मित फ्लाईओवर के नीचे जूता-चप्पल रखने का विशाल रैक बनाया गया. धूप के समय सड़क पर पानी छिड़कने एवं कार्पेट बिछाने की भी व्यवस्था की गई है.
वहीं, 22 से 27 जून तक कामाख्या मंदिर दर्शन के लिए सभी वीआईपी पास की व्यवस्था को स्थगित कर दिया गया. इस दौरान किसी भी वीआईपी को दर्शन की विशेष सुविधा नहीं दी जा रही है. वहीं, अंबुबासी मेले को लेकर सुरक्षा की चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था की गई. सुरक्षा को तीन श्रेणी में विभक्त किया गया. मंदिर परिसर की सुरक्षा, मेले में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा तथा इस दौरान यातायात के समुचित प्रबंधन- तीनों की व्यवस्था की गई. बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी तथा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
अंबुबासी मेले के मौके पर कामाख्या गेट से लेकर मंदिर तक को भव्य तरीके से सजाया गया है. जगह-जगह भक्तों के लिए शरबत, पेयजल, भोजन, जलपान आदि की व्यवस्था की गई है. कई दिन पहले से ही भक्त इस मेले में पहुंच रहे हैं. लोगों के पहुंचने का सिलसिला अबतक लगातार जारी है. 22 जून से विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी, स्वयंसेवी संगठनों के साथ ही लोगों द्वारा श्रद्धालुओं की सेवा में भोजन, पेयजल शरबत, जलपान आदि की जगह-जगह व्यवस्था की गई है.
हिन्दुस्थान समाचार