मुस्लिम महिलाओं को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही बड़ा फैसला सुनाया है. तलाक लेने वाली महिलाओं के लिए आदेश देते हुए देश की सर्वोच्च अदालत कहा है कि अब मुस्लिम महिलाएं अपने पति पर नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 125 के तरह भरण पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती है. कोर्ट की तरफ से इस मामले पर कहा गया कि यदि धारा 125 के तहत मामला लंबित है और तलाक हो जाता है तो वह 2019 के अधिनियम का सहारा ले सकती है.
कोर्ट का बड़ा फैसला
दरअसल, तेलंगाना फैमिली के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायलय की तरफ से कहा गया कि शायद कुछ पति इस फैक्ट को नहीं जानते कि गृहिणियों की पहचान भावनात्मक और दूसरे तरीकों से उन पर भी निर्भर रहती हैं. उन्होंने कहा कि इस तथ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए कि ज्यादातर महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं. इस तरह के आदेशों से उनकी संसाधनों पर पहुंच बनती है. 2019 के अधिनियम के तहत अवैध तलाक के नए पहलू को भी जोड़ा गया है.
साथ ही अदालत की तरफ से बोला गया कि नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 125 विवाहित महिलाओं के साथ-साथ लिव इन में रहने वाली महिलाओं पर भी लागू होगी. इसमें महिलाएं तलाक के बाद अपने भरण पोषण के लिए कोर्ट में याचिका डाल सकती हैं.
सीआरपीसी की इस धारा के तहत सभी महिलाएं तलाक की स्थिती में अपने पूर्व पति से भरण पोषण की मांग कर सकती हैं. मगर इसमे महिला आर्थिक रूप से उन्हीं पर निर्भर होनी चाहिए. इसके साथ इसमें कई अन्य प्रकार के प्रावधानों को भी शामिल किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि मुस्लिम शख्स की तरफ से फैमिली कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी जिसे अब न्यायालय की तरफ से खारिज कर दिया गया है. मामले में मुस्लिम महिला की ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर करते हुए पति से तलाक के बाद गुजारे-भत्ते की मांग की गयी थी. इसमें उसने गुहार लगाई थी कि पति की तरफ से अलग होने के बाद भी 20 हजार रुपये हर महीने का अंतरिम गुजारा भत्ता दिया जाए.
उल्लेखनीय है कि 1985 के शाहबानों मामले में भी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी लगातार कहा गया है कि मुस्लिम महिलाएं भी तलाक के बाद अपने हक अपने भरण पोषण की मांग कर सकती हैं. इस फैसले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले को वरीयता दी गयी थी. इसके बाद ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने के समय भी कोर्ट की तरफ से भरण-पोषण वाले हिस्से को साफ किया गया था.