Devshayani Ekadashi 2024: आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी आज मनायी जा रही है. मंदिरों में विशेष आयोजन और उत्सव होंगे. आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में सुबह मंगला झांकी के बाद पांच बजे पंचामृत से ठाकुरजी का अभिषेक का भी विधान है. इन दिन को लेकर तमाम धार्मिक और प्रचलित पौराणिक मान्यताएं हैं.
सनातन धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है जोकि इस सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है. इस दिन भगवान नारायण योग निंद्रा में चले जाते हैं जिसके चलते विवाह आदि सभी शुभ कार्य कुछ समय के लिए बंद हो जाते हैं. इस दिन पर व्रत रखने के साथ पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं.
क्या देवशयनी एकादशी की पौराणिक मान्यता
श्रीहरि विष्णु सृष्टि की सत्ता के संचालन का भार भगवान भोलेनाथ को सौंपकर 118 दिन के लिए योग निद्रा में जाकर विश्राम करेंगे. आदिदेव महादेव सृष्टि का कार्यभार 11 नवंबर तक अपने पास रखेंगे और 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर पुन: श्रीहरि के जागने पर उन्हें सत्ता सौंप देंगे.
एकसाथ बन रहे हैं कई योग
ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर इस बार तीन खास योगों का संयोग बन रहा है, जो आगामी चार माह के लिए शुभ फलदायी एवं मंगलकारी रहेंगे. इनमें सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और बुधादित्य योग रहेगा. देवशयनी एकादशी पर इस बार सूर्योदय से रात 11.18 तक सर्वार्थ एवं अमृत सिद्धि योग एक साथ रहेंगे. सूर्य और बुध के कर्क राशि में एक साथ रहने से बुधादित्य योग भी रहेगा. यह तीनों योग खरीदारी एवं कार्यों की सफलता के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं.
हिन्दुस्थान समाचार