नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत मंडपम में दस दिनों तक चली विश्व धरोहर समिति की बैठक का आयोजन ऐतिहासिक और अनूठा अनुभव रहा है. इसने भारत की तरफ दुनिया का देखने का नजरिया बदला है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहले जी 20 का सफल आयोजन करने के बाद भारत में पहली बार आयोजित विश्व धरोहर समिति की बैठक भी सफल रही. विश्व में हमारी क्षमताओं के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है.
बुधवार को दिल्ली में आयोजित प्रेसवार्ता में केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि बैठक में आए 165 देशों के करीब 2000 डेलिगेट्स ने आयोजन को लेकर संतोष जाहिर करते हुए इसे अद्भुत और अनूठा बताया है. यह हमारी सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम है.
आज वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के 46वें सत्र के एक कामयाब आयोजन का शानदार समापन हुआ।
इसमें विश्व के विभिन्न देशों में स्थित 24 स्थलों को विश्व धरोहरों में शामिल किया गया है, जिनमें असम का अहोम युगीन ‘मोइदम’ भी है।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने 21 जुलाई को उद्घाटन में ‘विकास… pic.twitter.com/VLVDGy3S1I
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) July 30, 2024
धरोहर समिति की बैठक के आयोजन के बारे में बताते हुए केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री शेखावत ने कहा कि इस समिति की बैठक में विश्व धरोहर की सूची में 24 नए धरोहर को शामिल किया गया, जिसमें भारत की तरफ से पूर्वोत्तर राज्य की पहली सांस्कृतिक धरोहर मोइदम को शामिल किया गया. असम के चराइदेव जिले में ‘मोइदम’, अहोम राजवंश से संबंधित है, जिन्होंने 6 वीं-12वीं शताब्दी तक क्षेत्र में शासन किया. मोइदम उस समुदाय का शवागार था, जिसे विश्व धरोहर स्थलों की सूची में सूचीबद्ध किया गया है. यह सूची में शामिल होने वाली भारत की 43वीं विरासत है. अब तक विश्व धरोहर के लिए भारत की तरफ से 53 स्थलों के प्रस्ताव जमा किए गए हैं, जिन पर विचार होना है. पिछले दस सालों में 13 धरोहरों को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है.
गजेन्द्र सिंह ने बताया कि जी 20 की बैठक में भारत की पहल के बाद संस्कृति को स्टैंडएलोन की तरह अपनाने पर सहमति हुई है. अब तक संस्कृति को दूसरे विषयों के साथ चर्चा में लाया जाता रहा है, लेकिन भारत की संस्कृति के प्रति प्रतिबद्धता का ही उदाहरण है, जिसे 2030 के बाद इस विषय को प्रमुखता से लिया जाएगा. इसे काशी पाथ वे का नाम दिया गया है. भारत ने अपनी संस्कृति और धरोहर को विश्व पटल पर रखने में सफलता हासिल की है.. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकताओं में विकास भी है और विरासत भी है. इसके तहत इस बजट में महाबोधि कोरिडोर और नांलदा को विकसित करने की घोषणा की गई है. यह सरकार की कला-संस्कृति और अपनी धरोहरों को सहेज कर रखने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि भारत केवल देश के ही नहीं बल्कि विश्व के धरोहरों को भी सहेजने और संरक्षण में सहयोग कर रहा है. कंबोडिया, म्यांमार सहित कई देशों में जा कर भारत के विशेषज्ञों ने धरोहर के संरक्षण में सहायता प्रदान की है. इसी प्रतिबद्धता के मद्देनजर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व धरोहर समिति की बैठक के उद्घाटन समारोह में ग्लोबल साउथ की मदद के लिए 10 लाख डॉलर देने की घोषणा की। इसके साथ इस बैठक में अमेरिका और भारत के बीच अवैध तरीके से बेची गई धरोहरों को वापस देने के लिए समझौता हुआ है. भारत में अब तक विदेश में ले जाई गईं 350 पुरातत्व महत्व की चीजें वापस लाई गई हैं. साल 2014 से पहले यह संख्या सिर्फ 13 थीं.
LIVE: Union Minister Shri @gssjodhpur addresses a press conference in New Delhi. https://t.co/lpoO6Ao1l4
— BJP (@BJP4India) July 31, 2024
हिन्दुस्थान समाचार