नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आज राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को देशसेवा में कार्य करने वाला संगठन बताया और कहा कि ऐसे संगठन के खिलाफ बोलना संविधान की आलोचना करने के समान है. संगठन को भारतीय संविधान के तहत अपना कार्य करने का अधिकार मिला है.
इस मुद्दे को लेकर बोले जगदीप धनकड़
#WATCH राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, “मैं यह नियम बनाता हूँ कि RSS एक ऐसा संगठन है जिसे इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है। इस संगठन की साख बेदाग है, इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।… pic.twitter.com/q9MmikaiQY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 31, 2024
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के नेता रामजीलाल सुमन की आरएसएस पर की गई टिप्पणी पर सभापति ने आपत्ति जताते हुए यह बातें कहीं. उन्होंने कहा कि वे पहले ही आरएसएस के बारे में कह चुके हैं कि संगठन की एक साफ छवि है. हालांकि सदस्य को बोलने से रोकने पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने आपत्ति जताई और कहा कि वे नियमों के तहत अपनी बात रख रहे हैं.
RSS पर क्या बोले धनकड़?
खरगे के बयान के बाद सभापति ने रूलिंग देते हुए कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जिसके पास इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूर्ण संवैधानिक अधिकार है. यह संगठन बेदाग साख रखता है, इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं. यह ध्यान देने योग्य बात है कि एक संगठन के रूप में आरएसएस राष्ट्रीय कल्याण, हमारी संस्कृति के लिए योगदान दे रहा है और वास्तव में हर किसी को ऐसे किसी भी संगठन पर गर्व करना चाहिए जो इस तरह से कार्य कर रहा है.
सभापति ने कहा कि सदस्य भारत के संविधान को दबा रहे हैं. मैं किसी भी संगठन को कठघरे में खड़ा करने की इजाजत नहीं दूंगा. यह संविधान का उल्लंघन है. आरएसएस को इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है.
हिन्दुस्थान समाचार