देहरादून: उत्तराखंड आपदा के बीच विश्व फलक पर ‘वसुधैव कुटुंबकम और अतिथि देवो भव:’ की भावना के साथ उभरा है। आपदा प्रभावित राज्य उत्तराखंड में फंसे देश-दुनिया के तीर्थयात्रियों को बचाने में आम से लेकर खास तक जुटे हैं। राज्य के मुखिया से लेकर गांव के मुखिया तक आपदा में तन-मन-धन से जुटे हुए हैं। सभी का एक ही भाव है कि देश-दुनिया से उत्तराखंड आने वाले यात्री भारत की प्राचीन संस्कृति अतिथि देवो भव: के साथ शासन-प्रशासन से लेकर देवभूमि वासियों के प्रति एक अच्छा संदेश लेकर सकुशल वापस जाएं। सभी के प्रयास से पहाड़ और जंगल में फंसे अब तक 10 हजार से अधिक यात्री सुरक्षित निकाले जा चुके हैं।
दरअसल, केदार घाटी में गत 31 जुलाई को आई आपदा में फंसे लोगों को निकालने के लिए केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर रेस्क्यू एवं सर्च अभियान पांचवें दिन भी जारी है। सोमवार को केदार घाटी का मौसम साफ होने के साथ एमआई—17 और चिनूक हेलीकॉप्टर से एयर लिफ्ट रेस्क्यू शुरू हो गया है। एमआई-17 चारधाम हेलीपैड पर यात्रियों को उतार रहा है जबकि चिनूक गौचर हवाई पट्टी पर। सोमवार सुबह तक 133 लोगों को केदारनाथ से एमआई-17 एवं चिनूक व छोटे हेलीकॉप्टरों की मदद से सुरक्षित रेस्क्यू किए जा चुके हैं।
आपदा में यात्रियों के लापता होने की आशंका के दृष्टिगत स्निफर डॉग की मदद से सर्च अभियान जारी है। लिंचोली से रामबाड़ा क्षेत्र तक सर्च किया जा चुका है। अब तक किसी व्यक्ति के मिलने की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं सोमवार सुबह 100 लोगों को सुरक्षा बलों की देखरेख में केदारनाथ धाम से लिंचोली हेलीपैड पहुंचाया गया। इन यात्रियों को लिंचोली से एयर लिफ्ट कर शेरसी हैलीपैड पर उतारा जाएगा। इसके अलावा एनडीआरएफ—एसडीआरएफ की टीमें जंगल एव मंदाकिनी नदी के आसपास लगातार सर्च अभियान में जुटी हैं।
मुख्यमंत्री धामी बोले- यही तो है देवभूमि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद रेस्क्यू एवं सर्च अभियान की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि केदार घाटी आपदा में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन को स्थानीय लोगों का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है। ग्राम प्रधान मुलायम सिंह तिंदोरी, सोनप्रयाग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अंकित गैरोला, धर्मेश नौटियाल (शेरसी), दीर्घायु गोस्वामी (गौरीकुंड), पूर्व प्रधान, ग्रामीण, घोड़ा-खच्चर संचालक, बीकेटीसी के पदाधिकारी एवं सदस्य, तीर्थ पुरोहित समाज, जीएमवीएन के कर्मचारी भी बढ़-चढ़कर स्थानीय प्रशासन के साथ बचाव कार्यों में जुटे हैं। सभी के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि अतिवृष्टि की वजह से होने वाले बड़े नुकसान को रोका जा सका है। इसके लिए मुख्यमंत्री धामी ने सभी का आभार जताया और कहा कि यही तो है देवभूमि।
हिन्दुस्थान समाचार