नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में आरोपित और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.
सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा कि वह उन दस्तावेजों की प्रतियां मांग रहे हैं, जिन पर अभियोजन पक्ष ने भरोसा नहीं किया है. वे आरोप तय करने के लिए प्रासंगिक नहीं हैं. इसकी वजह से इसमें देरी हो रही है. जस्टिस विश्वनाथ ने राजू से पूछा कि क्या आपने उन दस्तावेजों को देने के लिए दिए गए आदेश को चुनौती दी है. कोर्ट ने पूछा कि दस्तावेजों के निरीक्षण का समय क्या है. तब राजू ने कहा कि सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक निरीक्षण किया जा सकता है. हमने उन आदेशों को भी चुनौती दी है, जो हाई कोर्ट में लंबित हैं. कुछ दस्तावेजों में रिहाई पर रोक भी लगी है. इसलिए देरी पूरी तरह से याचिकाकर्ता के कारण हुई है. इसलिए उनके कारण हुई देरी का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
सुनवाई के दौरान जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा 493 गवाह हैं, बयान कब तक दर्ज हो सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि आरोप कब तय होंगे. तब राजू ने कहा कि जब याचिकाकर्ता द्वारा दस्तावेजों का निरीक्षण पूरा हो गया है तो आरोप तय किए जाएंगे. जस्टिस गवई ने पूछा कि आपने स्वयं कहा था कि निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है. सुनवाई के दौरान सिसोदिया के लिए पेश सिंघवी ने कहा कि इस मामले में तीन साल न्यूनतम और सात साल अधिकतम है. उसमें वह न्यूनतम कि आधी सजा काट चुके हैं. कोर्ट ने ईडी और सीबीआई से कहा कि हर जमानत के मामले में आप यही कहते हैं कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई को सुनवाई करते हुए सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया था. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को करने का आदेश दिया. सिसोदिया ने 21 मई को दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से जमानत देने से मना करने के आदेश को चुनौती दी है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि सिसोदिया ने पद का दुरुपयोग किया. घोटाले के इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी मिटाए. वह बाहर आकर सबूत और गवाहों पर असर डाल सकते हैं.
हिन्दुस्थान समाचार