लेटरल एंट्री पर बढ़ते विवाद के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी है. पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश पर भर्ती का विज्ञापन रद्द करने को कहा गया है. इसके संबंध में कार्मिक मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी को पत्र लिखकर सीधी भर्ती पर रोक लगाने का आदेश दिया है.
जितेंद्र सिंह ने संघ लोकसेवा आयोग की प्रमुख प्रीति सुदान को भेजे अपने पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के हिमायती हैं. हमारी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध है, इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि उन वैकेंसी का रिव्यू कर रद्द करें जो 17 अगस्त को यूपीएससी की ओर से जारी किया गया था.
Department of Personnel and Training Minister writes to Chairman UPSC on cancelling the Lateral Entry advertisement as per directions of Prime Minister Narendra Modi. pic.twitter.com/1lfYTT7dwW
— ANI (@ANI) August 20, 2024
बता दें यूपीएसी ने पिछले हफ्ते 17 अगस्त को लेटरल एंट्री के जरिए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली गई थी. इस स्कीम में वो कारपोरेट कर्मचारी अप्लाई कर सकते हैं जिनके पास यूजी की डिग्री हो और उन्होंने संबंधित पद और सेक्टर में कम से कम 15 साल काम किया हो. इस स्कीम में आवेदन करने के बाद लोगों का चयन उनके अनुभव के आधार पर किया जाता है और फिर उनका इंटरव्यू लिया जाता है, जिसके बाद इंटरव्यू पास करने वाले छात्रों की नियुक्ति की जाती है.
लेकिन इसमें आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई थी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने भी लेटरल एंट्री को दलितों और पिछड़ों से साथ अन्याय बताया था. सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए लेटरल एंट्री पर कांग्रेस सरकार का दौर को भी याद दिलाया. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया का उदाहरण दिया. सरकार का कहना था कि लेटरल एंट्री नई बात नहीं है. ये पहले भी होती रही हैं.