उत्तराखंड में इन दिनों जनसंख्या का मुद्दा काफी गर्माता जा रहा है, इससे जुए हुए मामले हर दिन सामने आ रहे हैं जहां मुस्लिम संगठन कई इलाकों की डेमोग्राफी चेंज करने में लगे हैं. इसका बड़ा उदाहरण राज्य सरकार की वन भूमि का है चरणबद्ध तरीके से मुस्लिम वन गुज्जरों को बसाया जा रहा है. जनसंख्या को बसाने के लिए मदरसों और मस्जिदों का भी निर्माण किया जा रहा है. जौनसार बावर के जंगलों में रहने वाले मुस्लिमों को विपक्ष में स्थानिया नागरिक बनाकर उन्हें मतदाता बना दिया.
दरअसल वन गुज्जर मुख्य रूप से जंगलों में रहने वाले वो लोग हुए हैं जो वहीं के संसाधनों पर निर्भर होते हैं. इन्हें जंगलों का रखवाला माना जाता है और इन्हें पशु चराने के लिए खास अधिकार भी मिले हुए हैं. मगर अब हालत बिल्कुल बदल चुके हैं. प्रदेश में उधम सिंह नगर से लेकर नैनीताल तक सैंकड़ों हेक्टेयर जंगलों जमीन पर अवैध कब्जें कर वहां बस्तियां बसाई जा रही हैं. इन पर मस्जिद और मदरसे खोल दिए गये हैं जहां पर मौलवी उर्दू अरबी की तालीम दे रहे हैं. इसे लेकर पहले भी एक रिपोर्ट सामने आ चुकी है.
उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में और घने जंगलों में हजारों हैक्टेयर जमीन पर खेती शुरू कर दी गई जिसकी वन विभाग बाद में जाकर खबर हुई. सेटेलाइट से सामने आई तस्वीरें इस अवैध अतिक्रमण और लचर प्रशासन की पोल खोल रही हैं. कई मुस्लिम गुज्जरों के गिरोह को वन्य जीवों का शिकार करने पर भी पकड़ा गया है. इसमें टाइगर की खाल, हाथी दांत की तस्करी करने जैसे गंभीर कृ्त्यों की भी पुष्टि हुई है.
सरकार के पास रिपोर्ट
कुछ महीने पहले ही वन गुज्जरों को लेकर सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई थी, इस रिपोर्ट में जंगली जमीन पर कब्जे से लेकर वहां अवैध तरीके से मजार और मदरसे बनाए जाने का भी जिक्र किया गया. साथ ही कई धार्मिक संस्थानों का भी कच्चा-चिट्ठा भी खुल गया था. जब इस रिपोर्ट की सूचना को वन विभाग के अधिकारियों के सामने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रखा तो हर जगह हड़कंप मच गया. इस मामले को गंभीरता से लिया जाने लगा मगर कुछ दिनों बाद यह मामला ठंडा पड़ गया.
मुस्लिम गुज्जरों के बीच बढ़ी है कट्टरपंथी मानसीकता
कुछ समय पहले मुस्लिम गुज्जरों को घने जंगलों से बाहर किया गया था, इसके पीछे बताया गया था कि वन्य जीवों को जीवन जीने में कोई बाधा न हो इसलिए उन्हें साल भर पहले बाहर किया गया था. पहले ऐसा कहा जाता है कि गुज्जर मांस नहीं खाते वो जंगल के रखवाले होते हैं मगर गुजरते समय के साथ मुस्लिम गुज्जरों के सामाजिक, आर्थिक जीवन भी तेजी से बदला. इस वर्ग के अंदर कट्टरपंथियों के प्रवेश से इसकी सूरत को बद से बदतर कर दिया. धीरे-धीरे वन्य जीवों की कुर्बानी दी जाने लगी और मदरसे, मस्जिदों का विकास होने लगा.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान जब फैसला सुनाया गया तो इसके बाद वन विभाग और राजाजी नेशनल पार्क के जंगलो से बाहर करके इन लोगों के अलग से आवंटित की गई जमीन पर बसाया गया. ऐसी कहा जाता है कि उस दौरान भूमि आबंटन की प्रक्रिया के दौरान भी भूमि को बांटा गया और यूपी से आकर भी कई मुस्लिम गुज्जर यहां आकर बस गए.
मु्ख्यमंत्री धामी की तरफ से लगातार यह कहा जाता है कि अतिक्रमण हटाओं अभियान के तहत सभी अवैध कब्जों को तोड़ा जाएगा. किसी भी कीमत पर उत्तराखंड की डेमोग्राफी से समझोता नहीं किया जाएगा. जंगलों में किसी भी प्रकार के अवैध अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.