पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार अब कर्ज के जाल में फंसती जा रही है. राज्य के ऊपर 86 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का कर्जा है यानि कि हिमाचल में प्रत्येक व्यक्ति पर 1.17 लाख रुपये का कर्ज है. सूबे के आर्थिक हालात इतने खराब हैं कि अगले दो महीने तक वहां के मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचीव और बोर्ड निगमों के चेयरमैन सैलरी और भत्ते नहीं लेंगे.
हिमाचल के खाली होते खजाने के पीछे फ्रीबीज को माना जा रहा है. दरअसल, 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कई चीजों को मुफ्त देने का वादा किया था. सरकार बनने के बाद, कांग्रेस ने वादों को पूरा करने के लिए बेतहाशा खर्च किया. बता दें कि सरकार ने बजट का 40% पैसा, सैलरी और पेंशन देने में ही चला जाता है. लगभग 20% कर्ज और ब्याज चुकाने में चला जाता है.
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल में मार्च 2022 तक 69 हजार करोड़ रुपये से कम का कर्ज था. लेकिन कांग्रेस की सुक्खू सरकार आने के बाद मार्च 2024 तक कर्ज बढ़कर 86,600 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया. अगर इसी तरह चलता रहा तो आगे चलकर मार्च 2025 तक हिमाचल सरकार पर कर्ज और बढ़कर लगभग 95 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा.
बता दें अभी सुक्खू सरकार महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देती है, जिस पर सालाना 800 करोड़ रुपये खर्च होता है. ओल्ड पेंशन स्कीम भी यहां लागू कर दी गई है, जिससे एक हजार करोड़ रुपये का खर्च बढ़ा है. जबकि, फ्री बिजली पर सालाना 18 हजार करोड़ रुपये खर्च होता है. इन तीन स्कीम पर ही सरकार लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है. सरकार को झटका तब लगा जब केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार के कर्ज लेने की सीमा को और कम कर दिया है. पहले सरकार अपनी जीडीपी का 5% तक कर्ज देती थी, लेकिन अब 3.5% तक ही कर्ज ले सकती है.
ये हालात सिर्फ हिमाचल प्रदेश की ही नहीं है. कई राज्यों में भी ये फ्रीबीज मॉडल वहां के खजानों को खाली कर रहा है. पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई ऐसे राज्य हैं जहां पॉलिटिकल पार्टियां लंबे समय तक सत्ता में बने रहने या सत्ता में एंट्री के लिए मुफ्त की रेवड़ियों का मॉडल अपना रहे हैं.
पिछले साल आरबीआई ने चेतावनी दी थी कि गैर-जरूरी चीजों पर खर्च करने से राज्यों की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है. इस रिपोर्ट में आरबीआई ने चेताया था कि अरुणाचल प्रदेश, बिहार, गोवा, हिमाचल, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल पर आर्थिक खतरा मंडरा रहा है.
आरबीआई का कहना है कि कुछ राज्य ऐसे हैं, जिनका कर्ज 2026-27 तक GSDP का 30% से ज्यादा हो सकता है. इनमें पंजाब की हालत सबसे खराब होगी. उस समय तक पंजाब सरकार पर GSDP का 45% से ज्यादा कर्ज हो सकता है. वहीं, राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल का कर्ज GSDP के 35% तक होने की संभावना है.
दिल्ली में महिलाओं के लिए डीटीसी बसों में मुफ्त सफर, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 20 हजार लीटर तक मुफ्त पानी, बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा की व्यवस्था है तो वहीं महाराष्ट्र में लाड़ली बहना के अंतर्गत 1500 रूपये, लाड़ला भाई योजना के अंतर्गत बेरोजगार युवाओं के उज्जवल भविष्य हेतु ₹6,000 से लेकर ₹10,000 तक की वित्तीय सहायता राशि प्रदान की जाएगी. तो वहीं मध्य प्रदेश में लाड़ली बहना 1250 रूपये महिलाओं को प्रतिमाह मिलते हैं.
मुफ्त बिजली-पानी जैसी रेवड़ियों का रिवाज तेजी से बढ़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार फ्रीबी पॉलिटिक्स यानी मुफ्त की रेवड़ियों के कल्चर को लेकर चेता चुके हैं. रेवड़ी कल्चर पर समय-समय पर बहस भी छिड़ती है.
15वें वित्त आयोग ने कई राज्यों के घटने राजस्व को बढ़ाने के लिए अपने सुझाव दिए हैं. आयोग ने संपत्ति कर में बढ़ोतरी, पानी जैसी विभिन्न सरकारी सेवाओं का शुल्क नियमित तौर पर बढ़ाने के साथ शराब पर उत्पाद कर बढ़ाने और स्थानीय निकायों तथा खाता-बही में सुधार करने की सलाह दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने फ्रीबीज पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि टैक्सपेयर के पैसे का इस्तेमाल कर बांटी जा रहीं फ्रीबीज सरकार को ‘दिवालियेपन’ की ओर धकेल सकती हैं. वहीं अब सरकारों को सोचना होगा कि महज सत्ता पाने के लिए इस तरह से लोगों की आंखों में धूल झोंकना सहीं नहीं है. जब राज्य की आर्थिक हालात खराब होंगे तो वहां इंफ्रास्टक्चर और डेवलपमेंट के कार्य नहीं हो सकेंगे. पॉलिटिकल पार्टियों को इस दिशा में सोचने की जरूरत है.