Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात के सातवें दिन बुधवार को भक्तों ने पापियों का संहार करने वाली देवी मां कालरात्रि के दर्शन कर स्वयं को कृत्तार्थ किया. मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद से ही मंदिर पर भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था. बुधवार भोर की मंगला आरती के बाद गर्भगृह का पट खुलते ही मां की एक झलक पाकर भक्त निहाल हो गए. अष्टभुजा और काली खोह मंदिरों पर पहुंचकर दर्शनार्थियों ने दर्शन पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स शुभकामनाएं दी हैं
श्रद्धालुओं ने भोर में गंगा स्नान करने के बाद मां विंध्यवासिनी का विधि विधान से दर्शन पूजन किया. इसके बाद अष्टभुजा एवं कालिखोह मंदिर में दर्शन पूजन कर भक्तों ने त्रिकोण परिक्रमा की. श्रद्धालुओं की भीड़ से समूचा विध्यधाम पटा हुआ है जहां लोग माता की एक झलक पाने के लिए . वहीं इस पावन मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स हैंडल ने शुभकामनाएं दी हैं, जिसमें उन्होंने लिखा कि नवरात्रि की महासप्तमी का दिन मां कालरात्रि की पूजा का पावन दिन है. माता की कृपा से उनके सभी भक्तों का जीवन भक्तिमय हो गया है. यही कामना है कि मां कालरात्रि की कृपा सभी भक्तों पर यूं ही बनी रहे.
नवरात्रि की महासप्तमी मां कालरात्रि के पूजन का पावन दिन है। माता की कृपा से उनके सभी भक्तों का जीवन भयमुक्त हो, यही कामना है। मां कालरात्रि की एक स्तुति आप सभी के लिए… pic.twitter.com/L7bzDsFzyX
— Narendra Modi (@narendramodi) October 9, 2024
पापियों का संहार करने वाली हैं कालरात्रि मां विंध्यवासिनी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है. इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है. इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली है. इसी कारण इनका नाम शुभकारी भी है. मां कालरात्रि पापियों का संहार करने वाली हैं.
उल्लेखनीय है कि नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. माता कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है. माता कालरात्रि विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से अपने भक्तों की सभी बुरी शक्तियों और काल से रक्षा करती हैं. अर्थात भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. मां के इस स्वरूप से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं. इसलिए तंत्र -मंत्र करने वाले विशेष रूप से मां कालरात्रि की उपासना करते हैं. राक्षसों और दुष्ट प्राणियों का संहार करने वाली मां कालरात्रि की सच्चे मन से पूजा करने से सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं. जीवन और परिवार में सुख-शांति का वास होता है. शास्त्र और पुराण कहते हैं कि मां कालरात्रि की पूजा और व्रत करने से सभी नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं और आरोग्य की प्राप्ति होती है. मां कालरात्रि भक्तों की शक्ति और आयु में वृद्धि करती हैं.
मां कालरात्रि की प्राकट्य कथाः शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नाम के असुरों ने अपने अत्याचारों से पृथ्वी पर हाहाकार मचा दी थी. उनसे परेशान होकर सभी देवी-देवता भोलेनाथ के पास पहुंचकर उनसे रक्षा की प्रार्थना की. तब भगवान शिव ने माता पार्वती से भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा. मां पार्वती ने देवी दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया. जब मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध किया तो उसके रक्त से लाखों रक्तबीज पैदा हो गए. यह देखकर मां दुर्गा बहुत क्रोधित हो गईं. मां का चेहरा गुस्से से काला पड़ गया. इसी स्वरूप से देवी कालरात्रि का प्रादुर्भाव हुआ. इसके बाद मां कालरात्रि ने रक्तबीज समेत सभी दैत्यों का वध कर दिया और उनके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने से पहले अपने मुख में भर लिया. इस तरह सभी असुरों का अंत हुआ. इस वजह से माता को शुभंकरी भी कहा गया
तंत्र साधना में जुटे साधक
सप्तमी के समापन और अष्टमी के आगमन के काल को कालरात्रि की पूजा का विधान है. कई श्रद्धालु इस दिन तंत्र साधना से पूजा करके सिद्धियां प्राप्त करते हैं. इस दिन आस्था और भक्तिभाव से पूजा करने से देवी आदि शक्ति अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरा करती हैं.
हिन्दुस्थान समाचार