Uttarakhand Illegal Encroachment: उत्तराखंड के सबसे ज्वलंत मुद्दों में से एक जनसंख्या असंतुलन है, प्रदेश के वनों में बाहरी राज्यों से आए मुस्लिम संगठनों ने बड़े स्तर पर कब्जा किया हुआ है. इस तरह के ताजा मामले सामने आ रहे हैं जोकि वन विभाग और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं. प्रदेश में बड़े पैमाने पर वन क्षेत्र की संपदा पर मुस्लिम गुज्जर कब्जा कर रहे हैं.
बता दें कि उत्तराखंड के जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर में जंगली इलाकों में रहने वाले मुस्लिम बन गुज्जरों को न केवल स्थानीय मूल निवासी का दर्जा दिया बल्कि उनका नाम वोटर लिस्ट में भी शामिल कर दिया गया. इस कदम से जोनसारी लोगों ने अपना रोष भी जताया मगर उनकी बातों और मांगों को दरकिनार रख दिया गया. उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन के प्रमुख कारणों में एक यह भी है, इसे एक सोची समझी साजिश माना जा रहा है जिसे योजनाबद्ध तरीके से लागू किया गया है. इसी वजह से उत्तराखंड की डेमोग्राफी चेंज हो गयी है.
उत्तराखंड के वन गुज्जरों के लिए हमेशा से ही एक बात बोली जाती थी कि वहां रहने वाले वन गुज्जर मांस नहीं खाते और वो जंगल की रखवाली करते हैं. उन्हें पशुओं को चराने के लिए जंगलों से खास तरह के अधिकार मिले हुए थे. मगर इसी बीच इस्लामिक कट्टरपंथियों ने चरणबद्ध तरीकों से मुस्लिम आबादी को बसाया. उस वक्त की तत्कालीन सरकार ने भी उनका साथ दिया और उनकी हर प्रकार की सुख सुविधाओं का ख्याल रखा. कुछ वक्त बाद जंगल की जमीन पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे किए गए.
बीते दिन उत्तराखंड के मैदानी जिले जैसे उधमसिंह नगर और नैनीताल के वनों में मुस्लिम गुज्जरों में सैंकडों हेक्टेयर पर वन भूमि पर कब्जा कर लिया है. इन अतिक्रमण की गई जमीनों पर बड़े स्तर पर मस्जिद और मदरसे खोले गए हैं. इस बात की पुष्टी सैटेलाइट की तस्वीरें कर रही हैं, जहां पर दूर दराज के इलाकों से आकर मौलवी इस्लामी शिक्षा दे रहे हैं. इससे जुड़ी रिपोर्ट सामने आने के बाद वन विभाग की तरफ से इस मामले में कार्यवाही भी की गई मगर वो केवल कागजों तक कही सिमटी रही. मुस्लिम वन गुज्जरों ने इस सैकड़ों हैक्टेयर जमीन पर खेती करनी भी शुरू कर दी है. इससे जुड़ी जानकारी को छिपाने की हर संभव कोशिश की गई मगर सैटेलाइट की फोटों से नहीं छिपा सके.
उत्तराखंड में न केवल मैदानी और तराई वाले इलाके बल्कि देहरादून, हरिद्वार, कालसी, चकराता, राजासी जैसी कई जगहों पर मुस्लिम गुज्जरों ने अवैध अतिक्रमण किया हुआ है. ये लोग मुख्य रूप से टाइगर की खाल, हाथी दांत बेचने जैसे गैर कानूनी कामों में संलिप्त पाए गए हैं.
बता दें कि वन गुज्जरों के इस अवैध अतिक्रमण को लेकर वन विभाग ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें जंगल की जमीन पर अवैध कब्जे पर किए जाने की जानकारी के साथ अवैध रूप से बनी मस्जिद मजारों पर धार्मिक संस्था बनाने का जिक्र किया गया था. इस पर एक्शन लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस जानकारी को बन विभाग के उच्च स्तरीय आधिकारियों से चर्चा के लिए रखा और इस पर अब जाकर सीएम की तरफ से ठोस भूमि कानून बनाने का आश्वासन दिया जा रहा है.
जौनसार बावर के चकराता मुस्लिम वन गुज्जरों के नाम मतदाता सूची में जोड़ दिये गए हैं. पिछले समय में ऐसे मतदाताओं के नाम बड़े पैमाने पर ऐसा हुआ है. अब यहां के स्थानीय मतदाता हजारों की संख्या में हैं और नौकरियों आदि कार्यों में आरक्षण की मांग भी उठा रहे हैं. विगत वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां वन गुज्जर अवैध जमीनों पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं. इन अवैध कब्जों को लेकर समय-समय पर कार्यवाही की मांग उठती रही है.