विजयादशमी का पर्व पूरे देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और सभी के सामने एक मिसाल रखी थी कि बुराई बुराई का अंधकार भले ही कितनी भी ताकतवर क्यों न हो अच्छाई की रोशनी उसे दूर कर ही देती है. दशहरा पर्व से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी विशेष संबंध है. बता दें कि साल 1925 में विजयदशमी के दिन ही नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने आरएसएस की स्थापना की थी तभी से हर साल इस खास अवसर पर संघ के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है.
बता दें कि विजयादशमी का पर्व शक्ति और संगठन का भी प्रतीक होता है इसलिए इस दिन संघ के स्वयंसेवक पथ संचलन करते हुए और इससे जुड़े हुए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते है. हर साल इसी दिन आरएसएस चीफ यानी सरसंघसंचालक वार्षिक संबोदन करते हैं. इस दौरान संघ की उपलब्धियां, राष्ट्र की चुनौतियां और आगे आने वाले लक्ष्यों को लेकर संबोधित किया जाता है. विजयादशमी का दिन हमें अच्छाई के रास्ते पर चलने और राष्ट्र निर्माण की दिशा में भी काम करने के लिए प्रेरित करता है इसलिए इसे संघ की विचारधारा और नैतिक व सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है.
क्या है विजयदशमी पर शस्त्र पूजा का कनेक्शन?
विजयादशमी या दशहरे का पर्व हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहारो में से एक है जिसे हर साल पूरी विधि विधान के साथ मनाया जाता है. इस दिन देवी की पूजा के बाद शस्त्रों की पूजा करने का भी खासा महत्व होता है. इस परंपरा में युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले अस्त्र और शस्त्रों की पूजा की जाती है साथ ही उन्हें और भी ज्यादा शक्तिशाली बनाया जाता है. इसमें तलवार, बंदूकस ढाल, कटार जैसे कई अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है. यह परंपरा सैनिकों के बीच काफी प्रचलित है इसमें योद्धा अपने शस्त्रों को साफ करके उन्हें देवी के सामने रखते हैं साथ ही शक्ति की प्रार्थना भी करते हैं. पिछले लंबे समय से इस परंपरा को यूं ही किया जा रहा है.