Dehradun: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व वन मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रदेश में चीड़-पिरूल एकत्रीकरण एवं पिरूल आधारित यूनिटों की स्थापना के लिए उद्यमियों को चिन्हित करते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए हैं. इसी क्रम में प्रत्येक चीड़ आच्छादित वन प्रभागों के प्रत्येक रेंज (जिसमें चीड़ वन विद्यमान है) में चीड़-पिरूल एकत्रीकरण का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कम से कम एक ब्रिकेट-पैलेट यूनिट स्थापित किए जाने की कार्यवाही गतिमान है.
वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन के अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा की अध्यक्षता में सोमवार को चीड़ आच्छादित प्रभागों के समस्त प्रभागीय वनाधिकारियों तथा यूनिटों के उद्यमियों के साथ समीक्षा बैठक हुई. विस्तृत विचार-विमर्श के उपरांत अपर प्रमुख वन संरक्षक ने संबंधित प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देशित किया कि वर्तमान में स्थापित यूनिटों को प्रोत्साहित करने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए, ताकि एकत्रित चीड़-पिरूल का शत-प्रतिशत उपयोग करते हुए ब्रिकेट्स-पैलेट्स उत्पादन की मात्रा को बढ़ाया जा सके. साथ ही यूनिटों को स्थापित किए जाने के लिए संबंधित जिलाधिकारियों, जिला उद्योग अधिकारियों एवं अन्य संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए. बैठक में प्रदेश में सात नई यूनिट (तीन अल्मोड़ा, दो चंपावत, एक गढ़वाल व एक नरेंद्रनगर) की स्थापना के लिए सहमति व्यक्त की गई. चीड़ आच्छादित चिन्हित वन प्रभागों (5000 हेक्टेयर से अधिक चीड़ आच्छादित क्षेत्रफल) की 57 रेजों के अंतर्गत कम-से-कम एक ब्रिकेट्स-पैलेट्स यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
चीड़-पिरूल के अधिकाधिक संग्रहण एवं ब्रिकेट्स-पैलेट्स यूनिटों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग उत्तराखंड की नई पहल का वनाग्नि नियंत्रण व प्रबंधन की प्रभावी कार्यवाही में निश्चित रूप से लाभ होगा. साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी होगा.
हिन्दुस्थान समाचार