नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाते हुए महत्वपूर्ण बात बोली कि आधार कार्ड किसी भी व्यक्ति की उम्र को पता करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं है. साथ ही कोर्ट ने हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें सड़क दुर्घटना के दौरान पीड़ित को मुहावजा देने के लिए उसके आधार में दी गई उम्र को ठीक माना था.
बता दें कि हाल ही में जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले सुनाया है, जिसमें न केवल उन्होंने हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया बल्कि यह भी बोला कि किसी की भी उम्र का पता लगाने के लिए आधार कार्ड को वैध प्रमाण पत्र नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति की उम्र का निर्धारण करने के लिए स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट पर दी गई जन्म तिथि को वैध बताया है, जिसे जांचना चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह मामला हरियाणा का है जहां ट्रायल कोर्ट ने एक सड़क हादसे में अपनी जान गवा चुके व्यक्ति को 19 लाख से ज्यादा रूपये मुहावजे के रूप में देने का आदेश दिया था. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मुहावजे की रकम को 19 लाख से घटा कर 09 लाख 22 हजार कर दिया. उस वक्त हाई कोर्ट ने आधार कार्ड के दस्तावेज को उम्र के लिए वैध मानते हुए आदेश दिया था. जिसे अब सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी.