Lekhak Gaon: भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केन्द्र सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने ‘लेखक गांव’ (Writers’ Village) की परिकल्पना के लिए उनकी सोच, सामर्थ्य और पराक्रम को नमन किया. उन्होंने कहा कि लेखकों, कवियों, साहित्यकारों और अन्य रचना कर्मियों की महसूस की जा रही व्यावहारिक कठिनाइयों का निवारण करने की यह एक अभिनव पहल है. ‘लेखक गांव’ अपने प्रकार की प्रथम परिकल्पना है.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डोईवाला विधानसभा अंतर्गत थानो क्षेत्र में शुक्रवार को स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024 के तहत आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला समारोह व धरोहर के संरक्षण के अद्भुत केंद्र ‘लेखक गांव’ पुस्तक का लोकार्पण किया और इस क्षण को यादगार बनाया. इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि यह उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है कि यहां ‘लेखक गांव’ का शुभारंभ हुआ है. उत्तराखंड ही एक ऐसा प्रदेश है जहां ‘लेखक गांव’ की सार्थकता नजर आएगी. देश का कोई भी प्रदेश ऐसा नहीं है जिसमें ‘लेखक गांव’ के नाम से कोई परिकल्पना साकार हुई हो. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि यह ‘लेखक गांव’ टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर उभरेगा.
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि लेखन में एक अद्भुत क्षमता होती है. लिखने और पढ़ने मात्र से आप किसी के जीवन में चमत्कार ला सकते हैं. एक लेखक के रूप में जब आप लिखते हैं तो आपको पता नहीं चलता कि आपके पास कितनी असीम शक्ति है. आप लेखन के माध्यम से लोगों के मन को प्रभावित करते हैं. हताश-निराश लोगों में आप लेखन के माध्यम से नई ऊर्जा और नई उमंग का संचार करते हैं.
प्रकृति, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान से रूबरू कराएगा लेखक गांव
इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति ने देश के पहले हिमालयी ‘लेखक गांव’ का लोकार्पण किया. थानो स्थित इस लेखक गांव में लेखक कुटीर, संजीवनी वाटिका, नक्षत्र और नवग्रह वाटिका, पुस्तकालय, कला दीर्घा, योग-ध्यान केंद्र, परिचर्चा केंद्र, गंगा और हिमालय का मनमोहक संग्रहालय बनाया गया है. लेखक गांव में आकर लेखक एक ही स्थान पर प्रकृति, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान से साक्षात्कार कर विविध विषयों पर चिंतन के लिए नए दृष्टिकोण प्राप्त कर सकेंगे.
साहित्य, कला और संस्कृति में दिखेंगे नवाचार
स्पर्श हिमालय महोत्सव में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की ओर से स्थापित स्पर्श हिमालय फाउंडेशन के तत्वावधान में देश के पहले हिमालयी लेखक गांव की स्थापना करने का यह अभिनव प्रयास न केवल हमारी संस्कृति और साहित्य को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है बल्कि उत्तराखंड के सृजनशील युवाओं और लेखकों को मंच प्रदान करने का सुनहरा अवसर भी है. राज्यपाल ने कहा कि इस आयोजन और इस पहल के माध्यम से साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में जो नवाचार देखने को मिलेगा, वह उत्तराखंड की धरोहर को एक नई दिशा देगा.
लेखकों की विरासत को आगे बढ़ाएगा लेखक गांव
राज्यपाल ने कहा कि यह मंच उन लेखकों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो अपने शब्दों के माध्यम से समाज को नई राह दिखाने का सामर्थ्य रखते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अनेक विद्वत लेखकों की जन्मभूमि रही है. ‘लेखक गांव’ जैसी पहल इन महान लेखकों की विरासत को आगे ले जाने में मदद करेगी. यहां के वातावरण में जो सृजनशीलता का प्रवाह है, वह अनेक लेखकों और कवियों को प्रेरित करेगा. ‘लेखक गांव’ की स्थापना हमारी उस परंपरा का जीवंत प्रमाण है, जो हमें साहित्य के माध्यम से हमारी जड़ों से जोड़ती है और हमें आत्मचिंतन के नए आयाम प्रदान करेगी.
रचनात्मकता का अद्भुत केंद्र रही है देवभूमि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि सदियों से रचनात्मकता का अद्भुत केंद्र रही है. यहां के पहाड़ों की विशालता, गंगा की पवित्रता और अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य ने लेखकों, कवियों और विचारकों को प्रेरणा प्रदान करने का काम किया है. ऐसे प्रदेश में ‘लेखक गांव’ का बनना एक महान कार्य है. इसके लिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को बधाई दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि एक लेखक के लिए ऐसा वातावरण आवश्यक है, जो शांति, सौंदर्य और विचारों के स्वतंत्र प्रवाह से समृद्ध हो. यह तीन दिवसीय साहित्यिक महोत्सव राज्य के साहित्यकारों को एक मंच प्रदान करेगा और वे विश्व भर से आए साहित्यकारों और कलाकारों के साथ मिलकर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे.
उत्कृष्ट साहित्यकारों को दी जाएगी 5 लाख रुपये सम्मान राशि
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए प्रतिबद्ध है. राज्य सरकार ने ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान’ के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करने का कार्य प्रारंभ किया है. राज्य में विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन के लिए ‘वित्तीय सहायता योजना’ के तहत साहित्यकारों को अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है. उत्कृष्ट साहित्यकारों को ‘साहित्य भूषण’ और ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. इसके अंतर्गत मुख्यमंत्री ने पांच-पांच लाख रुपये सम्मान राशि प्रदान करने की घोषणा की है.
भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा कि आज एआई ने हमारे प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि जो भी अविद्या है, जो भी मानव मस्तिष्क की उपज है जैसे कविता, साहित्य आदि वह एआई कर पाएगा और वह इससे सभंव है, लेकिन चिंतन, मनन और स्वयं की खोज, जिसे ब्रह्म ज्ञान कहते हैं इसे स्वयं के साथ साक्षात्कार कहते हैं वह एआई नहीं कर पाएगा. यह विद्या रूपी ज्ञान से संभव हो पाएगा. उसके लिए आपको एकांत स्थान व सृजनात्मक माहौल चाहिए जहां आप स्वयं के अस्तित्व में डूबकर मोती निकाल सकें यानी लेखक गांव जैसा स्थान चाहिए.
साहित्य, संस्कृति व कला संरक्षण एवं संवर्द्धन का केंद्र बनेगा लेखक गांव
स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि यह एक अलग प्रकार का आयोजन है जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की. यहां लेखकों, विचारकों को अपनी कृतियों को लिखने का अवसर मिलेगा. उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनें, उनसे दूर न रहें यहां से हम सभी को यह संकल्प लेना होगा. लेखक गांव साहित्य, संस्कृति व कला संरक्षण एवं संवर्द्धन का केंद्र बनेगा.
‘हिमालय में राम’ पुस्तक का विमोचन
स्पर्श हिमालय महोत्सव में भारत के विभिन्न प्रदेशों सहित 40 से अधिक देशों के साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र की अनेक विभूतियों का अद्भुत समागम दिखा, जिन्होंने साहित्य की गंगा बहाई. इस अवसर पर अतिथियों ने ‘हिमालय में राम’ पुस्तक का विमोचन किया. ‘लेखक गांव’ की इस पहली रचना को डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने लिखा है.
देश-विदेश की भाषा लिखित एक लाख पुस्तक पढ़ने को मिलेंगी
लेखक गांव के संरक्षक एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024 का उद्देश्य साहित्य, संस्कृति व कला का संरक्षण एवं प्रोत्साहन है. यहां निर्मित पुस्तकालय में देश-विदेश की भाषा लिखित एक लाख पुस्तक पढ़ने को मिलेंगी. लेखक गांव में लेखक कुटीर, भोजनालय में उत्तराखंड के पारंपरिक उत्पाद, संजीवनी हिमालय उत्पाद, अतिथि लेखक गृह, अनुसंधान एवं हिमालय संग्रहालय, नवग्रह वाटिका, संजीवनी वाटिका, तीर्थाटन वाटिका की स्थापना की गई है. यहां कई दुर्लभ धरोहरों से रूबरू हुआ जा सकेगा. साथ ही आवश्यक जानकारियों का उपयोग शोध में भी हो सकेगा.
स्कैन करते ही मिलेगी पौधों की जानकारी
थानो में स्थापित लेखक गांव जहां साहित्यकारों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा तो वही यहां विभिन्न छात्र-छात्राओं को शोध अनुसंधान में भी काफी लाभ होगा. यहां स्थापित नवग्रह वाटिका, संजीवनी वाटिका, तीर्थाटन वाटिका में तीन सौ से अधिक दुर्लभ पौधे लगाए गए हैं. स्कैनर के माध्यम से उस पौधे की पूरी जानकारी लोग आसानी से जान सकेंगे. इसके लिए हर पौधे के समीप उसका नाम और एक स्कैनर लगाया गया है. जिसे स्कैन करते ही उसकी सभी जानकारियां मोबाइल में मिल जाएंगी.
हिन्दुस्थान समाचार