हरिद्वार: प्रकृति के संरक्षण और अभियानी के अभिमान को चूर करने का पर्व गोवर्धन पूजा अन्नकूट के रूप में उल्लास के साथ मनायी गई. इस दौरान जहां घरों में अन्नकूट का पर्व मनाया गया वहीं सामूहिक रूप से भी कई स्थानाें पर अन्नकूट का आयोजन किया गया. लोगों ने भगवान गोवर्धन की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की.
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस बार दीपावली 31 अक्टूबर व 1 नवम्बर को दो दिन मनायी गई. बावजूद इसके गोवर्धन पूजा का आयोजन शनिवार को किया गया. इस अवसर पर लोगों ने अन्नकूट का भोजन बनाने के साथ भगवान को 56 भोग अर्पित किए.
मान्यता है कि आज ही के दिन योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ग्वालों और गोवर्धनवासियों की इन्द्र के प्रकोप से रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा ऊंगली पर धारण किया था. इसी के साथ भगवान ने इन्द्र का मान मर्दन किया था. तभी से भगवान गोवर्धन की पूजा अन्नकूट के रूप में मनायी जाती है.
गोवर्धन पूजन का आयाेजन कुछ लोग सुबह के समय करते हैं तो कुछ सांयकाल गोवर्धन पूजन करते हैं. इस अवसर पर सनातन धर्मावलम्बियों ने गाय के गोबर के भगवान गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की.
हिन्दुस्थान समाचार