Almora Bus Accident: नदी में बिखरे शवों के ढेर में अपनों को तलाशती नम आखें और चारों ओर भयावह मंजर देख लोग दहल गए. यही नहीं, एक साथ 36 शवों का सामूहिक पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की भी रूह कांप उठी. सोमवार को आपदा प्रभावित राज्य उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से बस हादसे की जो तस्वीरें सामने आईं, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. बस में सवार अधिकतर लोग दीपवाली की छुट्टी मनाकर कार्यस्थल पर लौट रहे थे.
जिस जगह हादसा हुआ है, वह पहाड़ी इलाका है. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी अल्मोड़ा विनीत पाल की रिपोर्ट के अनुसार हादसे में 10 महिला समेत 36 यात्रियों की मौत हुई है और 27 लोग घायल हुए हैं. 42 सीटर बस पर कुल 63 सवारी खचाखच भरी थी. बताया जा रहा है कि ओवरलोडिंग के कारण यह बड़ा हादसा हुआ है. मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है. बस गढ़वाल मोटर्स ओनर्स यूनियन लिमिटेड की थी.
कुमाऊं मंडल के आयुक्त दीपक रावत ने बताया कि यात्रियों से भरी बस गढ़वाल क्षेत्र के पौड़ी जिले के गौलीखाल से कुमाऊं क्षेत्र नैनीताल जिले के रामनगर जा रही थी. रामनगर से 35 किलोमीटर पहले अल्मोड़ा जनपद के सल्ट ब्लाक अंतर्गत मारचुला (कूपी बैंड) के समीप पहुंचते ही बस अनियंत्रित होकर 650 फीट गहरी खाई में जा गिरी. बताया जा रहा है कि एक संकरे मोड़ के पास चालक बस को नियंत्रित नहीं कर सका और यह खाई में गिर गई. मौके से आई तस्वीरें हादसे की भयावहता को दर्शाती हैं. बस जंगल से घिरे इलाके में चट्टानी ढलान से लुढ़कते हुए 200 मीटर तक लुढ़की और नाले के ठीक ऊपर अटक गई.
बस के नदी में गिरते ही चींख-पुकार मच गई. कुछ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि कुछ लोग बस से छिटककर और नीचे गिर गए. घायलों ने ही घटना की जानकारी दूसरों तक पहुंचाई. बता दें कि सोमवार की सुबह आठ बजे बस कुपी गांव से आगे को निकली थी. आठ बजकर 10 मिनट पर गांव वालों को हादसे की सूचना मिल गई. जानकारी होते ही गांव वाले दौड़ते हुए दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए.
सूचना मिलते ही पुलिस-प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया. मुश्किल से बस के अंदर फंसे शवों को निकाला गया. बचाव कार्य में धूमाकोट, सरियापानी, नैनीताल और रुद्रपुर पोस्ट से एसडीआरएफ की तीन टीमें भी रेस्क्यू में जुटी हुई थीं. गंभीर रूप से घायल चार लोगों को उपचार के लिए तत्काल हेली एम्बुलेंस के माध्यम से एम्स ऋषिकेश पहुंचाया गया. शेष अन्य घायलों को एम्स ऋषिकेश के अलावा रामनगर और हल्द्वानी में सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां सभी का उपचार चल रहा है.
यदि सुरक्षा व्यवस्था मुकम्मल होती तो टल सकता था हादसा
अल्मोड़ा बस हादसे की असली वजह क्या थी? इसकी जांच की जा रही है, लेकिन प्रारंभिक तौर कुछ खामियां भी सामने आ रही हैं. माना जा रहा है कि अगर ये खामियां पहले ही दूर की जाती तो शायद ये हादसा नहीं होता. दरअसल, जहां से बस खाई में गिरी थी वहां पर ढलान और तीव्र मोड है. इसके अलावा सड़क सुरक्षा के नाम कोई पुख्ता इंतजाम नजर नहीं आए. हालांकि चेतावनी के तौर पर एक बोर्ड जरूर लगाया है जिस पर ‘ऊपर चढ़ने वाले वाहनों को प्राथमिकता दें’ लिखा नजर आया, लेकिन सड़क किनारे कोई भी पैराफिट और क्रैश बैरियर नहीं लगाया गया है. माना जा रहा है कि अगर सड़क किनारे पैराफिट या क्रैश बैरियर होती तो शायद बस खाई में गिरने से बच जाती. हालांकि हादसे की असली वजह जांच के बाद ही आ पाएगी. फिलहाल, बस हादसे के मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
राज्य और केंद्र सरकार ने की आर्थिक सहायता की घोषणा
अल्मोड़ा बस हादसे के पीड़ितों के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने आर्थिक सहायता की घोषणा की है. राज्य सरकार ने जहां मृतकों के परिवारों के लिए चार-चार लाख रुपये सहायता राशि देने की घोषणा की है तो घायलों को एक-एक लाख रुपये सहायता दी जाएगी. वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष से मृतकों के परिवारों के लिए दो-दो लाख और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये सहायता देने की घोषणा की गई है.
मुख्यमंत्री धामी कार्यक्रम स्थगित कर दिल्ली से लौटे उत्तराखंड
हादसे के वक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी महत्वपूर्ण बैठक व अन्य कार्यक्रमों को लेकर दिल्ली में थे. वह दिल्ली में भाजपा की एक बड़ी बैठक में शामिल होने के लिए गए थे. जानकारी होेते ही मुख्यमंत्री धामी घटना की पल—पल की जानकारी ले रहे थे और आवश्यक कार्रवाई के लिए लगातार निर्देश दे रहे थे. इसके बाद वे सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिल्ली से उत्तराखंड आ गए.