उत्तरकाशी: उत्तराखंड के प्रसिद्ध देवता बौखनागराजा की तीसरी जात्रा ने इस बार कुछ ऐसा जादू बिखेरा कि श्रद्धालु और मेहमान सब हैरान रह गए. हर तीसरे साल मनाए जाने वाले इस मेले की पूर्व संध्या पर लोक गायक प्रीतम भरत्वाण ने अपनी अद्भुत गायकी से वातावरण में एक अनोखा समा बांध दिया.बौखनागराजा को समर्पित इस मेले की रात कुछ खास ही थी. प्रीतम भरत्वाण के गीत “सरुली मेरु मन लगगि”, “सुबधा नालू पाणी गैचि”, और “गजिमाला” ने पूरे इलाके को झूमने पर मजबूर कर दिया.
जैसे ही उन्होंने “मोरी रख्या खोली” गाया, एक अजीब सा उत्साह फैल गया. पूरा मेला गूंज उठा और लोग अपनी जगह से खड़े होकर थिरकने लगे, मानो समय ठहर गया हो. उनके गीतों में ऐसी ऊर्जा थी, जो न केवल भक्तों के दिलों को छू रही थी, बल्कि वातावरण को भी जैसे नशे में डूबो रही थी, लेकिन इस सांस्कृतिक संध्या में एक और चमत्कारी मोड़ तब आया जब विदेशी मेहमान अंतरराष्ट्रीय टनल विशेषज्ञ और ऑस्ट्रेलियाई नागरिक आरनोल्ड डिक्स ने अपनी उपस्थिति से माहौल को और भी रहस्यमय बना दिया. सिलक्यारा टनल की घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं टनल के अंदर था तो मुझे ऐसा लगा जैसे यहां कोई अदृश्य शक्ति मौजूद हो. वह अहसास शब्दों में बयां नहीं कर सकता. उनकी बातों ने कार्यक्रम में मौजूद सभी को चौंका दिया और हर किसी के मन में सवाल उठने लगे- आखिर वह अदृश्य शक्ति क्या थी?कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण, क्षेत्रीय विधायक संजय डोभाल, पूर्व न्यायधीश जयदेव शाह, पूर्व विधायक केदार सिंह रावत समेत कई और सम्मानित लोग भी मौजूद थे.
ब्लॉक प्रमुख शैलेन्द्र कोहली ने बौखनाग मेला को राजकीय मेला घोषित किए जाने की बात करते हुए कहा कि इससे मेले की महिमा और बढ़ गई है. पद्मश्री सम्मानित प्रीतम भरत्वाण ने कहा कि मैंने जिंदगी में कई मंचों पर गीत गाए, लेकिन बौखनाग के लिए जो भाव मेरे दिल में हैं, वह शब्दों से बाहर हैं. क्या यह भावनाएं वास्तव में बौखनाग के अदृश्य प्रभाव का परिणाम थीं? यह सवाल हर किसी के मन में था, और शायद यही सवाल बौखनाग मेला की असली कसक भी हो. इस प्रकार बौखनाग मेला की पूर्वसंध्या ने न केवल श्रद्धालुओं के दिलों को छुआ, बल्कि इसे लेकर कई सवालों और रहस्यों को भी जन्म दिया. क्या बौखनाग में कोई अदृश्य शक्ति है? यह रहस्य अभी भी कायम है.
हिन्दुस्थान समाचार