Haridwar: लाखों करोड़ों लोगों की आस्था का विषय जीवनदायिनी गंगा का जल इस समय आचमन करने लायक भी नहीं बचा है. हाल ही में यह बड़ा सनसनीखेज खुलासा कोई और नहीं बल्कि हर महीने मां गंगा के जल की जांच करने वाली उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में यह जल पीने लायक नहीं रहा है हालांकि इससे स्नान जरूर किया जा सकता है.
आपको बता दें कि उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हर महीने हरिद्वार से ऊपर व नीचे जहां गंगा यूपी में प्रवेश करती हैं वहां की तकरीबन 8 जगहों से गंगा जल का सैंपल लिया जाता है. इसके बाद इन नमूनों को लेबोरेट्री में जांच के लिए भेजा जाता है. हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक इस समय का जल बी क्लास क्वालिटी का है यानी कि इसमें घुलनशील अपशिष्ट (फेकल कोलीफॉर्म) और घुलनशील ऑक्सीजन (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर तय किए गए मानकों से ज्यादा मिला है.
यह स्तर 5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक होना ठीक रहता है. इसका सीधा अर्थ है कि हरिद्वार में गंगा जल आचमन करने लायक नहीं है हालांकि इसमे स्नान किया जा सकता है. रिपोर्ट में गंगा में कोलिफॉर्म 20 मिलीग्राम प्रति लीटर है जोकि इसे नहाने योग्य बनाता है. हालांकि बोर्ड की मानें तो ये हालात पिछले कुछ सालों से सुधरे हुए हैं और इनमें निरंतर सुधार आ रहा है. क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह के अनुसार पिछले कुछ साल पहले तक यह मात्रा 500 एमपीएन तक जा पहुंची थी. जोकि नहाने लायक भी नहीं बचा था मगर इसके बाद काफी हद तक सुधार देखा गया है.
प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड लगातार गंगा को साफ करने की मुहिम में लगा हुआ है ताकि इसका पानी पीने के योग्य भी बन सके. इसके लिए प्रशासन के साथ कई संस्थाएं और एजेंसियां सामूहिक प्रयास कर रही हैं.
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