नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हिंसा प्रभावित संभल जाते समय बुधवार को गाजीपुर बॉर्डर पर रोके जाने के बाद राहुल गांधी दिल्ली लौट आए. उनके साथ सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी था. राहुल गांधी ने कहा कि वे पुलिस के साथ अकेले संभल जाने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी जा रही है, जो असंवैधानिक है. लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर यह उनका संवैधानिक अधिकार है. इसकी अनुमति मिलनी चाहिए थी.
हालांकि राहुल गांधी को रोकने के क्रम में पुलिस ने जो बंदोबस्त किए थे, उसके कारण सड़क पर वाहनों का काफी लम्बा जाम लग गया और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. जिला प्रशासन और पुलिस ने प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोकने के लिए पहले ही सीमा पर नाकाबंदी कर दी थी, क्योंकि वहां पर बाहरी लोगों के जाने पर रोक लागू है. जिले में निषेधाज्ञा भी लागू है, जहां पिछले सप्ताह समाजवादी पार्टी (सपा) के कई सांसदों को जिले में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत प्रतिबंध अब संभल में 31 दिसंबर तक बढ़ा दिए गए हैं.
इस मौके पर राहुल के साथ मौजूद वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि राहुल संवैधानिक पद पर हैं और उन्हें संवैधानिक अधिकार है. उन्हें पीड़ित परिवारों से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए.
राहुल गांधी के साथ कांग्रेस प्रतिनिधिमडंल को रोके जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा कि नेता विपक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में संभल जा रहे हमारे प्रतिनिधिमंडल को गाजियाबाद में उप्र सीमा पर रोक दिया गया. उप्र सरकार द्वारा लोकसभा के नेता विपक्ष को हिंसा में जान गंवाने वालों के परिवारों से मिलने से रोकने के पीछे क्या कारण है? ऐसे व्यक्ति के साथ खड़ा होना बुनियादी मानवता है, जिसने इतना दुख और नुकसान झेला हो.
दरअसल, राहुल के काफिले को रोकने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पर भारी बैरिकेडिंग की गई थी. रास्ते को डायवर्ट किया गया था, जिससे रोज ऑफिस आने जाने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. दोपहर तक गाजीपुर बॉर्डर पर भारी जाम लगा हुआ था.
हिन्दुस्थान समाचार