देहरादून: उत्तराखंड की अर्थ व्यवस्था को उन्नत करने के लिए जहां सरकार प्रयासरत है वहीं उत्तराखंड की घाटियों को सजाने संवारने का काम एक निजी संस्था द्वारा किया जा रहा है. आत्मनिर्भर संस्था द्वारा यमुना वैली को हर्बल में विशेष वैली बनाने के लिए संस्था प्रयासरत है. इसकी जानकारी आत्मनिर्भर संस्था के संस्थापक रंजीत महेश चतुर्वेदी ने दी.
दिल्ली जाने से पहले देहरादून में विशेष बातचीत के दौरान रंजीत महेश चतुर्वेदी ने बताया कि इसी वर्ष 62 औषधीय प्रजातियों के पौध रोपण माध्यम से यह प्रयास शुरू किया गया. इसे संस्था से जुड़ी महिलाओं के परिश्रम का ही परिणाम कहेंगे कि बिना अंग्रेजी खाद के देशी खाद पर आधारित इन जड़ी बुटियों के कारण यमुना वैली आत्मनिर्भर हो रही है. आत्मनिर्भर संस्था के प्रयासों ने इस क्षेत्र को पहली हर्बल वैली बनाकर एक महत्वपूर्ण उपहार दिया है.
रंजीत महेश चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश का विकास चाहते हैं और उनके विकास की कड़ी में ही आत्मनिर्भर संस्था भी उत्तराखंड की घाटियों में ऊंचाई के अनुसार औषधीय जड़ी बूटी के रोपण का प्रयास कर रही है और यमुना वैली पहली हर्बल आयुर्वेदिक वैली बन गई है. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की हजार महिलाओं के माध्यम से 29 गांवों में औषधीय पौधे लगाकर जड़ी बूटियों की संरक्षा की जा रही है, जो उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बना रहा है.
उन्होंने बताया कि इन जड़ी-बूटियों में अश्वगंधा, सर्पगंधा तथा अन्य जड़ी बूटियां शामिल है, जो क्षेत्र को महत्वपूर्ण बना रही है.
विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में जड़ी-बूटियों के क्रेताओं ने सम्पर्क कर ऑर्गेनिक खाद वाली जड़ी-बूटियों को खरीदने की इच्छा जताई है. इसका लाभ इन महिलाओं को होगा. रंजीत महेश चतुर्वेदी ने कहा कि इसी तरह का काम वह उत्तराखंड के अन्य घाटियों में भी करेंगे और मातृ शक्ति को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाएंगे.
हिन्दुस्थान समाचार