गुरुग्राम: राष्ट्रीय राजनीति के कद्दावर नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का निधन हो गया है. 89 उम्र में उन्होंने गुरुग्राम स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. उनके निधन से राजनीति में शोक की लहर है. बता दें कि जानकारी के मुताबिक ओम प्रकाश चौटाला की मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताया जा रहा है.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और INLD प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला का गुरुग्राम में उनके आवास पर निधन हो गया: राकेश सिहाग, INLD मीडिया समन्वयक
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— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 20, 2024
बता दें कि कल सुबह 8 बजे से 2 बजे तक तेजा खेड़ा फार्म पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए ले जाया जाएगा. वहीं दोपहर 3 बजे उनको मुखाग्नि दी जाएगी. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और आईएनएलडी प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला ने राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी, उनका निधन उनके प्रशंसकों और पूरे देश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ट्वीट किया, “INLD सुप्रीमो एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने जीवन भर प्रदेश और समाज की सेवा की। यह देश और हरियाणा प्रदेश की राजनीति के लिए एक… pic.twitter.com/4IYYQjVT0d
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ओम प्रकाश चौटाला कुल सात बार विधायक और पांच बार सीएम का पद संभाल चुके हैं. ओम प्रकाश चौटाला के निधन पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शोक व्यक्त किया है.
एक मंझे हुए राजनेता के रूप में हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला खरी बात कहने में विश्वास रखते थे. उन्होंने कभी कागज पर लिखा हुआ भाषण नहीं पढ़ा. जो बोलते वो मुंह जुबानी बोलते थे. वर्ष 2000 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला चुनाव प्रचार में इस बात को प्रमुखता से कहते कि राज कोई सदा नहीं करता. उनके भाषणों को सुनने के लिए जनता एक तरह से बंधी बैठी रहती थी.
अपने भाषण के बीच में विकास कार्यों की बात कहते हुए वे कहते थे कि राज ना चौधरी देवीलाल ने सदा किया, राज ना बंसीलाल ने सदा किया, राज न भजनलाल ने सदा किया. राज करने वालों के इतिहास लिखे जाते हैं. अगली पीढिय़ां इतिहास पढक़र ही यह जानती है कि किस राजनेता ने राज में आकर जनता की कितनी भलाई की. अपने इस तरह के भाषण से वे खूब तालियां बटोरते थे. शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद 2000 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने धुआंधार प्रचार करके पूरे हरियाणा में इनेलो की हवा बना दी. हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों में से 62 सीटों पर इनेलो ने उम्मीदवार उतारे थे और 47 सीटों पर चुनाव जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई.
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