Year Ender 2024: साल 2024 कई मायनों में लोगों के यादगार रहा, जहां एक तरफ इस साल कई बड़े लोगों ने अपना नाम बुलंद किया तो वहीं दूसरी तरफ कई बड़ी हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कहा है. फिल्म, राजनीति, बिजनेस से लेकर एंटरटेनमेंट और बाकी सभी बड़े क्षेत्रों में कई लोगों ने संसार से विदा ले ली है. इनके जाने से लोग बड़े स्तर पर मायूस हुए. आज यहां नीचे ऐसी जानी मानी बड़ी हस्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका जाना देश और दुनिया के लिए बड़ी क्षति रहा.
मनमोहन सिंह
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 26 दिसंबर 2024 को हमेशा के लिए दुनिया से अलविदा कह दिया. देश को 1991 की आर्थिक तंगी से निकाल कर विकास के पथ पर एक नए अध्याय की शुरुआत करने से लेकर सूचना के अधिकार लागू करवाने तक उन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वो न केवल एक जाने माने अर्थशास्त्री थे बल्कि एक कमाल के राजनीतिज्ञ भी रहे जिन्होंने अपने अलग अंदाज से सभी का ध्यान खींचा.
जाकिर हुसैन
भारत को संगीत की पहचान दिलाने वाले मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का इसी साल 16 दिसंबर को निधन हो गया. वो 73 साल के थे और 7 साल की छोटी सी उम्र में ही उन्होंने बड़े-बड़े कार्यक्रमों में तबला बजाना सीख लिया था. उन्होंने कई फिल्मों में संगीत देने के साथ पूरी दुनिया को अपने म्युजिक के रंग में रंग दिया था. हुसैन को उनके हुनर के लिए पदम श्री से लेकर पद्म भूषण और विभुषण से नवाजा गया है.
रतन टाटा
भारत के जाने माने उद्योग टाटा समुह के चेयरपर्सन रतन टाटा ने इस कुछ वक्त पहले ही दुनिया को अलविदा कहा. उन्होंने न केवल टाटा ग्रुप को सफलता की नई बुलंदियों पर पहुंचाया बल्कि एक सादगी भरा जीवन जीकर एक मिसाल भी पेश की कि आप सफल होकर भी शांति और सुकून से भरा जीवन जी सकते हैं. रतन टाटा ने समाज के कई समूहों की भलाई के कार्य लिए जिसके चलते वो अक्सर सुर्खियों का हिस्सा बनते रहे. उन्होंने न केवल होटलों की चैन ताज, ताज चाय, तनिश्क जैसे ब्रांड को शुरू किया बल्कि लैंड रोवर, जगुआर और अमेरिकी लक्जरी होटल चेन रिट्स कार्लसन का भी अधिग्रहण किया.
सीताराम येचुरी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव के रूप में जाने जाने वाले सीताराम येचुरी ने भी 19 अगस्त को इस दुनिया से विदाई ली. राजनीति को नई दिशा देने वाले येचुरी वामपंथी दलों का प्रमुख चेहरा थे. साल 1974 से राजनीति की शुरुआत की थी तब वो स्टूडेंट फेडरेशन में शामिल हुए थे. वहीं साल 1975 में वो सीपीआईएम का हिस्सा बने.
सुशील कुमार मोदी
बिहार राजनीति के दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी का बिहार की राजनीति में एक खास मुकाम है, जोकि भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरों में एस एक थे. वो पांच दशकों तक बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे जिसके चलते वो बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री भी रहे. अपने जीवन के आखिरी समय में कैंसर से जूझ रहे थे.
शारदा सिन्हा
देश के प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा ने भी इसी साल दुनिया को अलविदा कहा. 72 साल की उम्र में 5 नवंबर को उनका निधन हुआ था, उनका जाना उसके सभी चाहने वालो के लिए एक अपूर्णीय क्षति था. लोक संस्कृति को नए मुकाम पर पहुंचाने के लिए शारदा सिन्हा को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था.
बाबा सिद्दीकी
महाराष्ट्र में एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता बाबा सिद्दीकी की इस साल 12 अक्टूबर को गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसकी जिम्मेदारी लॉरेंस विश्नोई गुट की तरफ से ली गई थी, जिसकी अभी भी जांच जारी है. बाबा सिद्दीकी की मौत ने केवल कानून बल्कि प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठे थे. वो साल 1999 लेकर 2024 तक लगातार विधायक भी रहे. साथ ही बॉलीवुड में भी उनकी अलग पहचान थी.
पंकज उधास
इसी साल सुप्रसिद्ध सिंगर पंकज उधास के निधन ने उनके सभी फेंस को मायुस कर दिया. अपनी खूबसूरत आवाज से सभी को अपना बना लेने वाले पंकज उधास की स्वरों का जादू उनके फैंस के सर चढ़कर बोलता है. चिट्ठी आई है…, चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल आदि गाने ऑलटाइम हिट रहे हैं.
मुनव्वर राणा
इसी साल 71 साल की उम्र में दुनिया से विदा लेने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा 14 जनवरी को नहीं रहे थे. मुनव्वर उर्दू के जाने-माने शायर थे और अपनी लेखनी में हिंदी और अरबी भाषा के शब्दों का प्रयोग करते थे. यही कारण था कि उन्होंने कई भारतीयों के दिलों पर लंबे समय तक राज किया.