नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन ने आज यहां आरोप लगाया कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आआपा) सरकार पर ने शीला दीक्षित के शासनकाल में शुरू की गई लाडली योजना को इस तरह से पलीता लगाया, जिसके कारण यह अपने मकसद को पूरा करने में विफल रही. “ओल्ड एज होम” के मामले में तो स्थिति और भी खराब है.
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में अजय माकन ने कहा कि लिंगानुपात को बेहतर करने के लिए दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 1 जनवरी 2008 को ‘लाडली योजना’ लाई थीं. इस योजना में गरीब परिवार को बच्ची का जन्म अगर घर पर हुआ है तो 10,000 रुपये और अगर सरकारी अस्पताल में हुआ है तो 11,000 रुपये मिलते थे. पहली कक्षा में दाखिला लेने पर बच्ची के लिए 5,000 रुपये जमा कर दिए जाते थे. इसी तरह से छठीं कक्षा में जाने पर 5,000 रुपये और नौंवी कक्षा में जाने पर और 5,000 रुपये दे दिए जाते थे. बच्ची के दसवीं पास होने पर उसे 5,000 रुपये और मिलते थे. फिर बारहवीं कक्षा में दाखिला लेते ही 5,000 रुपये और दिए जाते थे. बच्ची के 18 साल के होने पर उसके खाते में 1 लाख रुपये जमा कर दिए जाते थे.
माकन ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने बच्चियों के साथ बड़ा अन्याय किया है. 2008-09 में जब लाडली योजना शुरू हुई तो उसमें दो हिस्से थे. पहला-बच्ची के जन्म के समय ही रजिस्ट्रेशन करके पैसे दिए जाएं. दूसरा- यदि जन्म के समय रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया तो बाद में रजिस्ट्रेशन कराया जा सके. साल 2008-09 में 20,242 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया, जो बढ़कर साल 2009-10 में 23,871 पहुंच गया, लेकिन साल 2019-20 में यह आंकड़ा 6,299 पर जा पहुंचा और फिर साल 2020-21 में यह आंकड़ा घटकर 3,153 पर पहुंच गया. यह दिखाता है कि केजरीवाल सरकार ने बच्चियों का हक़ छीना है और जिस स्कीम की चर्चा पूरी दुनिया में होती थी, उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
कांग्रेस नेता ने कहा कि 2013-14 में ‘लाडली योजना’ में कुल रजिस्ट्रेशन की संख्या 1,39,346 थी, जो कम होते हुए 2020-21 के अंदर मात्र 43,415 रह गई. दिल्ली की जनसंख्या बढ़ रही है, तो इस रजिस्ट्रेशन को भी बढ़ना चाहिए, लेकिन यह बढ़ने की जगह लगातार कम होती जा रही है. ‘लाडली योजना’ बच्चियों का हक है, लेकिन दिल्ली सरकार बच्चियों से उनका हक छीनने का काम कर रही है.
माकन ने कहा कि आआपा कहती है कि हम दिल्ली में महिलाओं को 2,100 रुपये देंगे, लेकिन बच्चियों के लिए योजना को लागू नहीं कर रही. ऐसे में आआपा पर कैसे विश्वास किया जा सकता है? उन्होंने दावा किया कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि लाडली योजना के 3,20,272 लाभार्थियों का करीब 618 करोड़ रुपये सरकार के पास पड़ा हुआ है, लेकिन उन्हें पैसे नहीं दिए गए. सीएजी ने कहा है कि दिसंबर 2022 में 8,84,000 लाभार्थी हैं. इन 8,84,000 एक्टिव लाभार्थियों में से 3 लाख 20 हजार लाभार्थियों को पैसा नहीं दिया जा रहा है. हैरानी की बात ये है कि इन लाभार्थियों की उम्र 18 से 20 साल, 21 से 25 साल और 26 साल से ऊपर की है. इन लाभार्थियों का पैसा पड़ा हुआ है, लेकिन केजरीवाल सरकार पैसे नहीं दे रही.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार ने “ओल्ड एज होम” बनाने के लिए कानून बनाया, जिसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें सरिता विहार, छतरपुर और गीता कॉलोनी में जगह दी. उस समय दिल्ली और केंद्र में कांग्रेस सरकार थी. अब 2025 आ गया लेकिन वहां “ओल्ड ऐज होम” के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गई है. 2007 से लेकर 2015 के बीच में हॉस्पिटल-डिस्पेंसरी के लिए डीडीए और केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 15 जगह जमीनें दी थीं लेकिन आआपा सरकार उनमें से किसी पर भी काम नहीं कर पाई. ये बहुत शर्म की बात है. आआपा की सरकार सिर्फ नए वादे करती है, लेकिन पुराने काम पर ध्यान नहीं देती.
हिन्दुस्थान समाचार