जनवरी के महीने से ही उत्तरकाशी में लगातार भूकंप से धरती कांप रही है. लगातार 24 जनवरी के बाद से भूकंप के आने का सिलसिला जारी है, इनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2 से लेकर 3.5 मैग्नीट्यूड तक दर्ज की गई. इस बीच लोग कई बार झूठी भूकंप आने की अफवाहें भी फैला रहे हैं जिसके चलते लोगों में डर का माहौल है. ऐसे में इसे साल 1991 की आपदा से जोड़ कर देखा जा रहा है.
बीते 24 जनवरी से उत्तरकाशी में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इन दिनों में इस पहाड़ी क्षेत्र में 8 बार भूकंप आ चुका है, हालांकि शुक्रवार के बाद से यह नहीं हुआ है. इन भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2 से लेकर 3.5 मैग्नीट्यूड तक दर्ज की गई है. 24 जनवरी को 3 बार भूकंप आया था तो वहीं 25 जनवरी को दो बार इन झटकों को महसूस किया गया था. भूकंप महसूस होते ही लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए थे.
बता दें कि 1991 उत्तराखंड के इतिहास में वो साल है जब 2 वहीं तक उत्तरकाशी की धरती हिल्ली रही थी. बता दें कि 20 अक्तूबर 1991 में उत्तरकाशी में बड़ा भूकंप आया था जिससे गढ़वाल वाले हिमालयी क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचा था. यह झटके 2 महीने तक महसूस किए गए थे उस दौरान ही कुल 142 बार भूकंप से वहां की धरती हिली थी. इस दौरान जहां एक तरफ संपत्ति को नुकसान पहुंचा तो वहीं दूसरी तरफ 768 लोगों की मौत भी हो गई थी.
उस वक्त 5066 लोग घायल हुए थे और 20184 घर पूरी तरह से टूट गए थे. उस समय भूकंप की तीव्रता 6.6 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई थी. जिसके बाद भागीरथी और भीलांगना वैली में लैंडस्लाइड काफी हुआ था.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हिमालयन जियोलॉजी के भू वैज्ञानिकों के अनुसार इस रीजन में प्लेटों की मूवमेंट होती रहती है जिसके चलते भूकंप के झटके लगते हैं. कई बार इनकी संख्या बढ़ जाती है. साल 2009 में भी तपोवन की तरफ काफी कम समय में ऐसे झटके महसूस किए गए थे. हालांकि इस बार के कम आसार हैं कि 1991 जैसी स्थिति दोबारा बने मगर लंबे समय से उस रीजन में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है ऐसे में कुछ भी क्लियर नहीं बताया जा सकता.