हरिद्वार: विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत कार्यालय सेठ मुरलीमल धर्मशाला अपर रोड हरिद्वार पर आयोजित एक बैठक में उत्तराखण्ड राज्य में समान नागरिकता कानून के संबंध में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रांत संगठन मंत्री अजय कुमार ने कहा कि समान नागरिक संहिता से समाज में सौहार्द बढ़ेगा. इस कानून का उद्देश्य धर्म, समुदायों पर आधारित असमान कानूनी प्रणालियों को समाप्त कर धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है, इससे विभिन्न धार्मिक प्रथाओं के आधार पर मौजूद असमानताओं और संघर्षों में कमी आएगी. इससे लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलेगा. इस कानून से समाज में सामंजस्य और एकीकरण आएगा. यह कानून धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव किए बिना लागू होगा. इस कानून का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर देना है. आज समय की महती आवश्यकता है कि संपूर्ण देश में भी सामान नागरिकता कानून जल्दी ही लागू करना चाहिए.
अजय कुमार ने कहा कि हिंदू के नाते हम अपने धर्म का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारे मन में अन्य धर्माें या आस्थाओं के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है. एक समुदाय से संबंधित विवाह, तलाक, इद्दत और विरासत के संबंध में समान नागरिक संहिता 2024 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है. जिसमें उन्होंने कहा कि यूसीसी भारत के संविधान के अनुच्छेद-25 का उल्लंघन करता है. यूसीसी की धारा-390 मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के विवाह, तलाक, विरासत के संबंध में रीति-रिवाजों और प्रथाओं को निरस्त करती है. आज हिंदू धर्म में अस्पृश्यता जैसी अनेक कुप्रथाओं को समाप्त कर दिया गया हैं, परंतु समुदाय विशेष में कई पत्नियां रखने की प्रथा को अनुमति दी जा रही है. हिंदू धर्मग्रंथों में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है, परंतु समुदाय विशेष के लोग आज भी कई पत्नियां रखने, हलाला करने, तीन तलाक का अधिकार मांगते हैं. इसलिए न्यायसंगत है कि नागरिक कानूनों में भी सुधार कर उनको एकीकृत किया जाना चाहिए. संप्रदाय विशेष के लोगों को भी अपनी गलतियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारने के लिए आगे आना चाहिए. अगर हम सदियों से अनेकता में एकता का नारा लगाते आ रहे हैं तो संविधान में भी एकरुपता से आपत्ति क्यों हैं, एक संविधान वाले देश में लोगों के निजी मामलों में भी एक कानून होना चाहिए.
अजय कुमार ने कहा कि संविधान नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का निर्देश देता है. उत्तराखण्ड राज्य में समरुपता स्थापित करने के लिए एक प्रकार के कानून, विधि व्यवस्था, रीति रिवाज, विवाह आदि संस्कारों में एक ही प्रकार के नियम लागू होंगे, जिससे राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूती प्राप्त होगी. हमने कभी किसी के अधिकारों का शोषण नहीं किया वरन अधिकार देने की या दूसरों के अधिकारों का संरक्षण करने की मानवोचित प्रवृत्ति को आत्मसात कर मानवता का संरक्षण किया है. इसी सोच और पवित्र भावना के कारण भारत प्राचीन काल से ही समान नागरिक संहिता का समर्थक ही नहीं बल्कि संस्थापक देश रहा है.
बैठक में प्रमुख रुप से प्रांत कार्यालय प्रमुख वीरसेन मानव, बलराम कपूर, भूपेंद्र सैनी, प्रजीत, कमल उनियाल, गोपाल भारद्वाज, अजय जोशी, सोनू कुमार, दीपक तालियान, रोहित शास्त्री आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे.
हिन्दुस्थान समाचार
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