Temple Tourism: कहते हैं सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर हैं…और शिव की खोज ही शून्य तक लेकर जाती है. देवभूमि उत्तराखंड को देवताओं की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता, यहां मानसिक शांति के साथ दैवीय और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम मिलता है. यहां भगवान शिव से जुड़े कई ऐसे धाम हैं जहां कई श्रद्धालु जाते हैं. इसी क्रम में भोलेनाथ से जुड़े पंचकेदारों में से एक आज रुद्रनाथ के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भक्ति और प्रकृति की अनोखी छटा देखने को मिलती है. रुद्रनाथ मंदिर सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है जहां हर साल देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के चमोली जिले में स्थित है जहां एक तरफ हिमालय के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ आकर्षण का केंद्र बनते हैं तो वहीं दूसरी तरफ हरे-भरे घास के मैदान (बुग्याल) हर किसी को अपनी तरफ खींचते हैं. यह स्थान समुद्र तल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर प्रकृति की गोद में स्थित है. केदारनाथ के सर्किट में रुद्रनाथ चौथे स्थान पर आता है.
यहां होते है भगवान शिव के मुख के दर्शन

रुद्रनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक आस्था का एक प्रमुख केंद्र है इसके साथ ही यह कई मायनों में खास भी है. पूरी दुनिया में यह भगवान शिव का इकलौता ऐसा स्थान है जहां भोलेनाथ के मुख के दर्शन होते हैं. यहां उनके मुख को पूजा जाता है जिसका दर्शन कर भक्त अपार शांति, सुकून और आध्यामिक चेतना का अनुभव करते हैं. रुद्रनाथ मंदिर काफी प्राचीन है जिसका कनेक्शन महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.
पांडवों ने किया था शिव को प्रसन्न

इस पावन धाम में भगवान शिव मुखाकृति वाले स्वयंभू शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं जिसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर काल में जब पांडव भातृ हत्या के पाप से ग्रसित होकर शिव की खोज में यहां-वहां घूम रहे थे. तब इसी स्थान पर उन्हें भवगान भोलेनाथ के मुख ने दर्शन दिए थे. यहीं पर पाण्डवकाल का शिव का श्यमवर्णी एक मुंह वाला लिंग विराजमान है जहां देवादिदेव महादेव अपने सभी भक्तों से सभी कष्टों को दूर करते हैं.
अन्य पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहीं वह स्थान है जहां अंधकासुर दैत्य के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवताओं ने शिव की उपासना की थी. तब इससे प्रसन्न होकर महादेव ने अंधकासुर की जीवनलीला समाप्त करने और इस स्थान पर देवी पार्वती संग वास करने का आशीर्वाद दिया था, तभी से यहां शिव विराजमान हैं. एक अन्य मान्यता के अनुसार इसी जगह पर शिव ने अपनी जटा से वीरभद्र की उत्पत्ति की थी तभी से यहां उन्हें पूजा जा रहा है.
रुद्रनाथ मंदिर के लिए ट्रैकिंग

सभी पंचकेदारों में सबसे कठिन ट्रेक रुद्रनाथ का माना जाता है जिसकी कुल दूरी 21 किलोमीटर की है. यहां सफर में प्रकृति के अद्भुत खजाने देखने को मिलते हैं. जहां एक तरफ हिमालय के ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके हुए पहाड़ हैं तो वहीं पलक झपकते ही गहराइयों तक पहुंचाने वाली खाईयां जो सैलानियों को एडवेंचर और थ्रिल से भर देती हैं. वहीं हरे-भरे बुग्याल मन मोह लेते हैं. श्रद्धालुओं के लिए यह कठिन डगर भक्ति की किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है जिसे पार करके श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
रुद्रनाथ ट्रेक को लेकर एक स्थानीय लोगों में एक प्रचलित कहावत हैं – केदारनाथ की चढ़ाई, जर्मन की लड़ाई. यह इस बात को बताने के लिए काफी है कि यह ट्रेक पंचकेदारों में सबसे कठिन है मगर यहां जाकर आपको अनुभव होगा कि आप स्वर्ग में आ गए हैं.
रुद्रनाथ मंदिर के आस-पास घूमने की जगह
रुद्रनाथ मंदिर हिमालय की ऊंचाइयों में बसा हुआ है. लोगों के मुताबिक यहां शिव की उपस्थिति दिव्य और आलौकिक अनुभव महसूस करवाती है. इसके आसपास अपार प्राकृतिक संपदा पर्यटकों और श्रद्धालुओं का ध्यान खींचती है. यहां कई अन्य दर्शनीय स्थल इस प्रकार से हैं-
शिरौली गांव और कंडिया बुग्याल
प्राकृतिक खूबसूरती से ओतप्रोत ये जगह पर्यटकों को काफी शांति और सुकून महसूस करवाती है.
अमृत गंगा और हंसा बुग्याल
यहां के हरियाली और तरह-तरह के फूल किसी को भी विस्मय में डाल देते हैं. यहां आप भी घूमने के लिए जा सकते हैं.
नंदीकुंड हिमनद झील
यह जगह रुद्रनाथ मंदिर से 15 किलोमीटर दूर है, साथ ही समुद्रतल से लगभग 4750 मीटर की ऊंचाई पर यह स्थान मौजूद है.
त्रिशूल, चौखंबा चोटिया और नंदादेवी
बर्फ से ढकी ये त्रिशूल, चौखंबा चोटिया और नंदादेवी की चोटियां काफी सुंदर लगती हैं. इन्हें रुद्रनाथ मंदिर से साफ देखा जा सकता है.
वसुधारा
वसुधारा एक खूबसूरत झरना है जोकि गोपेश्वर के पास स्थित है, रुद्रनाथ की यात्रा में इसका दीदार करना बिल्कुल न भूलें.
कब खुलता है रुद्रनाथ मंदिर?
रुद्रनाथ मंदिर वैसे तो वर्षभर खुला रहता है लेकिन सर्दियों में ज्यादा बर्फ पड़ने के चलते रास्ता ब्लॉक हो जाता है. आस पास के लोग भी उस वक्त निचली पहाड़ियों में लौट जाते हैं. वहीं यहाँ जाने का सबसे ठीक समय मई से अक्टूबर तक का रहता है जब पहाड़ सबसे ज्यादा खूबसूरत नजर आते हैं.
कैसे पहुंचे रुद्रनाथ?

रुद्रनाथ मंदिर की ट्रेकिंग की दूरी 21 किलोमीटर है जहां जाने के लिए 2 ट्रैकिंग मार्ग [सागर गांव से ट्रेक मार्ग(लघु ट्रेक मार्ग), मंडल से सामान्य ट्रेक मार्ग] हैं.
वहीं सागर गांव रुद्र प्रयाग कई रास्तों से पहुंचा जा सकता है, इसमें से मुख्य इस प्रकार से हैं.
सड़क के रास्ते
गोपेश्वर तक सड़कों का जाल फैला हुआ है जहां बस या कार आदि से आसानी से पहुंचा जा सकता है. इसके लिए पहले ऋषिकेश पहुंचे और वहां से आगे के लिए वाहन लें.
रेलवे द्वारा
बता दें कि गोपेश्वर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है अत: ऋषिकेश तक रेल की मदद से पहुंचा जा सकता है. इसके बाद बस, कैब, या टैक्सी लेकर गोपेश्वर तक पहुंचे.
हवाई जहाज द्वारा
उत्तराखंड में रुद्रनाथ तक जाने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जॉलीग्रांट एयरपोर्ट है. इसके बाद गोपेश्वर तक की दूरी 258 किलोमीटर दूर है. जिसके लिए टैक्सी, कार या बस जैसी सुविधाएं ले सकते हैं.
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