बीते कुछ सालों में उत्तराखंड की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है, पढ़कर भले ही यकीन न हो मगर आज का सच यही है. देवताओं की भूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में डेमोग्राफी बदलने का काम चरणबद्ध तरीके से हुआ है. असम के बाद अब उत्तराखंड दूसरा ऐसा राज्य बन चुका है जहां जनसंख्या में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है, ये चिंता का विषय है. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस गंभीर विषय पर चिंता व्यक्त की है, साथ ही बढ़ती हुई आबादी पर वेरीफिकेशन अभियान भी चलाया जा रहा है.
इन दिनों उत्तराखंड के ज्यादातर निचले मैदानी इलाकों में डेमोग्राफी चेंज (जनसंख्या असंतुलन) का समाना करना पड़ रहा है. ये प्रदेश के लिए एक गंभीर समस्या है जिससे जुड़े आंकड़े और भी ज्यादा चौंकाने वाले हैं.
प्रदेश के इन जिलों में तेजी से बढ़ी है मुस्लिम जनसंख्या
उत्तराखंड के कई जिलों में दूसरे धर्मों की तुलना में मुस्लिम जनसंख्या में तेजी से उछाल देखने को मिला है. खासतौर पर मैदानी इलाकों में हालात और भी ज्यादा खराब हैं जहां कुल जनसंख्या का 34 प्रतिशत तक आबादी अकेले मुसलमानों की है. देहरादून के पछुवा क्षेत्र (विकासनगर, सहसपुर, सेलाकुई) में मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है. विकासनगर स्थित ढकलानी गांव में साल 1991 में 80 प्रतिशत लोग हिंदू परिवार रहते थे जोकि अब घटकर केवल 40 प्रतिशत पर आ गए हैं. अकेले चार जिलों जिसमें उधमसिंह नगर में 32 प्रतिशत, नैनीताल और देहरादून में 32-32 और पौढ़ी में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ी है.
दूसरे देश (नेपाल, चीन-तिब्बत) और राज्यों से आने वाले घुसपैठिए अक्सर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके संसाधनों का प्रयोग करते हैं. धीर-धीरे करके ये उसी राज्य का हिस्सा बन जाते हैं. ज्यादातर मैदानी इलाकों में इसी तरह से अतिक्रमण किया गया है. इसके लिए प्रदेश सरकार की तरफ से सख्त भू कानून लाया गया है.
क्या है उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज के आंकडे़ं
उत्तराखंड के सांख्यिकीय से जुड़े डाटा पर एक नजर डालें तो वर्ष 2001 में राज्य में मुस्लिम जनसंख्या 11.9 प्रतिशत थी, यह वर्ष 2011 में बढ़कर 13.9 प्रतिशत हो गई. वहीं वर्ष 2022 यह आंकड़ा बढ़कर 16 तक होने का अनुमान लगाया गया था. तेजी से बढ़ती इस संख्या के चलते अब उत्तराखंड दूसरा राज्य बन गया है जहां मुस्लिम जनसंख्या ज्यादा है. पहले नंबर पर असम है.
उत्तराखंड के निचले भागों का बार्डर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से लगता है वहां नदी के किनारे बसे लोगों में 99 प्रतिशत तक जनसंख्या मुसलमानों की है. वहां की 4 प्रमुख नदियों में खनन का काम होता है, जिसके लिए श्रमिक काम के लिए आते थे और वहीं रहते थे. वहीं बरसात के सीजन में यह लोग अपनी-अपनी जगहों पर वापस लौट जाते थे. धीरे-धीरे ऐसा होना कम हो गया और यही जगहें उनका स्थायी निवास बन गईं. कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के समय अवैध अतिक्रमणों की संख्या में तेजी आई है. सामने आए यह सभी आंकड़े इस बात को स्पष्ट करते है कि राज्य में तेजी के बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाना जरूरी हो गया है.
इन जिलों की तेजी से बदली डेमोग्राफी, हुआ अतिक्रमण
अब राजधानी देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, पौढ़ी और नैनीताल जैसे जिलों में यह 30% से ज्यादा हो गई है. ज्यादातर प्रदेश के मैदानी जिले हैं, जहां डेमोग्राफी चेंज तेजी से देखने को मिला है. अक्सर इसे राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक संरचना के लिए चुनौती माना जाता है. प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में अवैध रूप से चल रहे मदरसों की जांच के लिए गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इसके बाद से लगातार अभियान चलाया जा रहा है और अब तक 200 से ज्यादा अवैध रूप से संचालित हो रहे मदरसों को सील किया गया है. वहीं अवैध कब्जों पर भी तेजी से कार्रवाई की जा रही है.
हरिद्वार जिले में मुस्लिम आबादी लगभग 37.39% हो गई है. इस वृद्धि मुख्य रूप से ज्वालापुर विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में देखी गई है.
वन विभाग की भूमि पर भी अवैध कब्जे
उत्तराखंड में केवल सरकारी जमीन ही नहीं बल्कि वन विभाग की जमीन पर भी अवैध कब्जे किए गए हैं. प्रदेश के वनों में मुस्लिम संगठनों ने बड़े पैमाने पर कब्जे किए हुए हैं. क्रांग्रेस का कार्यकाल में जौनसार बावर के जंगली इलाकों में रहने वाले मुस्लिम वन गुज्जरों को मूल निवासी का दर्जा देखर उनका नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा गया. इन्हीं की आड़ में बड़े पैमाने पर मुस्लिम लोगों ने कब्जा कर लिया है. वहीं कार्बेट सिटी के नाम से फेमस रामनगर भी जनसंख्या असंतुलन के दंश को झेल रहा है. यहां नदी किनारे हो रहे कब्जों और अवैध अतिक्रमण पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री धामी की तरफ से स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम को भी गठित किया गया है.
इसाई मिशनरियों का धर्मांतरण
देवभूमि में डेमोग्राफी चेंज करने वालों में मुसलमानों ही नहीं बल्कि इसाई मिसनरियों का भी महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिला है. राज्य की नेपाल सीमा से लगे इलाकों में मिशनरियों का एक पूरा जाल फैला हुआ है, जिसमें बड़े पैमाने पर कन्वर्जन किया जा रहा है. खटीमा, नानकमत्ता, सितारगंज जैसी सीमावर्ती विधानसभाओं में बड़ी संख्या में वहां निवास करने वाली थारू बुक्सा जनजाति को ईसाई धर्म में कन्वर्ट किया गया है. ये जनजातियां महाराणा प्रताप की वंशज मानी जाती हैं.
सरकार का क्या है रुख
उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज एक प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने इस बात को माना है बड़ी संख्या में लोगों ने डेमोग्राफी पर कब्जा किया है. ये न केवल भूमियों पर अवैध तरीकों से कब्जा कर संसाधनों पर प्रभाव डाल रहे हैं, बल्कि डेमोग्राफी को भी बदल रहे हैं. सरकार इन सभी पर लगाम लगाने के लिए सख्त अभियान चला रही है. वहीं हाल ही में प्रदेश के लिए सख्त भू कानून लाया गया है, हाल ही में इसे लागू भी कर दिया गया है.
प्रदेश में वेरिफिकेशन अभियान तेज
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बात को माना है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में भूमि पर अतिक्रमण किया गया है. इसके लिए बड़ी संख्या में वेरिफिकेशन अभियान भी चलाया गया है. इसके अंतर्गत अब तक 200 से ज्यादा अवैध रूप से संचालित होने वाले मदरसों को सील कर दिया गया है. वहीं कई अवैध निर्माण पर भी एक्शन लिया गया है. जंगलों की तरह की शहरी इलाकों में भी जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त करवाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इसमें हरिद्वार, देहरादून के मैदानी इलाकों के कई मदरसे शामिल है.
नये भू कानून में है ये खास प्रावधान
इसी साल उत्तराखंड विधानसभा में भू-संशोधन कानून को पारित कर लागू कर दिया गया है. इसे एक सख्त भू कानून माना जा रहा है, जिसके आने के बाद डेमोग्राफी चेंज में रोक लग सकेगी. इस कानून को हिमाचल की तर्ज पर लागू किया गया है जिसे देश के सबसे कठोर कानूनों में भी गिना जाता है. नए भू कानून के अंतर्गत अब 11 जिलों की जमीन को खरीदने पर रोक लगा दी गई है. वहीं हरिद्वार और उधम सिंह नगर को इससे अलग रखा गया है.
- इस कानून के हिसाब से प्रदेश में कृषि और उद्यान भूमि की अनियंत्रित बिक्री पर रोक लग जाएगी.
- इसके साथ ही आवासीय, शिक्षा, होटल, उद्योग जैसी जरूरतों के लिए भी दूसरे राज्यों को कड़ी प्रक्रिया से गुजरना है. इसके बाद ही वो उत्तराखंड में भूमि खरीद पाएंगे.
- हरिद्वार और उधम सिंह नगर में कृषि और बागवानी की जमीन को खरीदने की मंजूरी जिला मजिस्ट्रेट स्तर पर नहीं दी जाएगी. इसके लिए राज्य सरकार से मंजूरी ली जाएगी.
- नगर निकाय सीमा के अंतर्गत भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू-उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा. यानि एक परिवार अब आवासीय उपयोग के लिए 250 वर्गमीटर तक ही भूमि खरीद सकेगा.
- भूमि क्रय की पूरी प्रक्रिया की ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से निगरानी की जाएगी. वहीं सभी जिलाधिकारी भूमि क्रय से संबंधित रिपोर्ट को नियमित रूप से राजस्व विभाग को भेजना होगा.
- इस कानून के लागू होने के बाद अब उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज (जनसंख्या परिवर्तन) को रोकने में मदद मिलेगी. प्रदेश की भूमि की रक्षा और अवैध कब्जों पर भी रोक भी लगाई जा सकेगी. इस कानून के आने के बाद अब आने वाले समय में बदलती राज्य की लगातार मुस्लिमों द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जों को रोका जा सकेगा, वहीं किए जा चुके कब्जों पर भी एक्शन लिया जाएगा.