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घांघरिया से हेमकुंट तक: सबसे ऊंचा गुरुद्वारा और कठिन ट्रेक, जानें आत्मा को छू लेने वाले सफर हेमकुंड साहिब से जुड़े जरूरी बिंदु

हेमकुंड साहिब की गिनती दुनिया के सबसे ऊंचे गुरुद्वारों में होती है. इतनी अधिक ऊंचाई होने के चलते इस स्थान पर अधिकतर समय पर बर्फ ही रहती है.

Diksha Gupta by Diksha Gupta
May 20, 2025, 05:05 pm GMT+0530
हेमकुंड साहिब यात्रा से जुड़ी हर एक डीटेल

दुनिया के सबसे ऊंचा गुरुद्वारा हेमकुंड साहेब

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सिख धर्म की आस्था के प्रमुख केंद्रों में एक श्री हेमकुंड साहिब भी है, इस स्थान की गिनती सबसे पवित्र स्थलों में होती है. यहां पर हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में तकरीबन 15,225 फीट (4,632 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित खूबसूरत गुरुद्वारा है, जिसका सिख धर्म में विशेष महत्व है. यही कारण है कि यहां सिख तीर्थयात्री तमाम चुनौतियों का पार कर दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आज यहां हेमकुंड साहिब के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.

दुनिया का सबसे ऊंचा गुरुद्वारा है हेमकुंड साहिब

बता दें कि हेमकुंड साहिब की गिनती दुनिया के सबसे ऊंचे गुरुद्वारों में होती है. इतनी अधिक ऊंचाई होने के चलते इस स्थान पर अधिकतर समय पर बर्फ ही रहती है. यह दुनिया के सबसे जाने माने गुरुद्वारों में से है, जहां सिखों की गहरी और अटूट श्रद्धा है. हेमकुंड शब्द संस्कृत भाषा से आया है, जिसमें हेम अर्थात बर्फ और कुंड मतलब जलाशय. यह एक ऐसा स्थान है, जहां पर बर्फ की झील है जिसके किनारे यह गुरुद्वारा स्थित है. वहीं इस स्थान का विशेष धार्मिक महत्व है.

गुरु गोविंद सिंह से है कनेक्शन

Guru Govind Singh
Guru Govind Singh

हेमकुंड साहिब का कनेक्शन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह से जोड़कर देखा जाता है. गुरु गोबिंद सिंह ने दशम ग्रंथ में इसका उल्लेख किया गया है. ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर गुरु गोविंद सिंह ने पिछले जन्म में 20 सालों तक तपस्या की थी. इसी वजह से कालांतर में इस स्थान को गुरुद्वारा कहा जाता है. हेमकुंड झील के शांत और सौम्य तट पर बैठकर तपस्या की थी. यह स्थान चारों तरफ से चारों ओर से हिमालय की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ है. प्रकृति की गोद में स्थित यह जगह ट्रेकर्स के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है.

हेमकुंड साहिब का धार्मिक महत्व

Uttarakhand Hemkund Saheb Yatra
Uttarakhand Hemkund Saheb Yatra

बता दें कि हेमकुंड साहिब सिख धर्म का प्रमुख केंद्र होने के साथ हिंदुओं के लिए भी पूजनीय स्थान है. इसका संबंध रामायण काल से भी है. महाकाव्य रामायण के अनुसार युद्ध में लगी गंभीर चोटों के बाद भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसी यहीं पर आकर हेमकुंड के तट पर ध्यान लगाया था और अपना स्वास्थ्य वापस पाया था. यहीं पर एक लक्ष्मण मंदिर भी बनाया गया है जोकि लक्ष्मण की गहरी साधना का प्रतीक है. इसलिए ही हेमकुंड साहिब यात्रा सिखों के साथ-साथ हिंदूओं के लिए भी आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है.

प्राकृतिक खूबसूरती के बीचोबीच है हेमकुंड साहिब

Uttarakhand Hemkund Saheb Yatra
Uttarakhand Hemkund Saheb Yatra

हेमकुंड गुरुद्वारे हिमालय की खूबसूरत सात पहाड़ियों के बीच स्थित है. यहां का प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है, जहां एक तरफ हिमालय की ऊंची वादियां मन मोह लेती हैं तो वहीं तो वहीं बर्फ के नजारे ध्यान खींचते हैं. इस बीच श्रद्धालुओं को दिव्यता और आध्यात्मिकता का भी अद्भुत अनुभव होता है. इस नेचुरल ब्युटी के साथ धार्मिकता का अनुभव करने के लिए लोग दूर-दूर से हेमकुंड पधारते हैं.

हेमकुंड झील में स्नान करने से आध्यात्मिकता का अनुभव

हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के पास, एक हेमकुंड नाम से एक ग्लेशियर झील भी है, इसे लोकपाल झील के नाम से जाना जाता है. यहां का पानी इतनी क्रिस्टल-क्लियर है. वहीं यह पानी ठंडा और पवित्र भी है, जहां नहाने भर से लोगों को आध्यात्मिक और दिव्यता का अनुभव होता है. इसका धार्मिक महत्व भी है जिसके अनुसार यहां स्नान करने से शरीर शुद्ध होता है और हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. यही कारण है कि इस स्थान पर सिख श्रद्धालु आकर स्नान करके ही गुरुद्वारे के दर्शन करते हैं.

कैसा है हेमकुंड साहिब पहुंचने का रास्ता?

Hemkund Saheb Trek
Hemkund Saheb Trek
  • सिखों के प्रमुख केंद्र हेमकुंड साहिब यात्रा की शुरूआत ऋषिकेश से होती है, जोकि अंतिम बिंदु गोविंदघाट तक जाती है. बता दें कि ऋषिकेश से गोविंदघाट के बीच की दूरी लगभग 275 किलोमीटर की है. इसके बीच का रास्ता काफी ठीक है, फिर लगभग 13 किलोमीटर की दूरी तक स्थित घंगारिया गांव जाती है, जहां पहुंचने के लिए कोई परेशानी नहीं होती है.
  • घंगारिया गांव में एक गुरुद्वारा स्थित है, यहां पर हेमकुंड यात्रा पर निकले लोग बीच में रुककर विश्राम करते हैं और दोबारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं. यहीं पर होटेल और कैंप आदि की सुविधा भी मौजूद है जहां ठहर कर रुका जा सकता है.
  • इसके आगे कोई वाहन नहीं जाता है इसलिये इसके आगे की यात्रा काफी खड़ी है, जिसे पैदल करना होता है. इस यात्रा में हेलिकॉप्टर भी केवल घंघारिया तक जाते हैं, जिसके आगे की यात्रा पैदल ही करनी पड़ती है. इसे खच्चर, घोड़ों या पैदल ही किया जाता है. इस खड़ी चढ़ाई को करने के बाद हेमकुंड साहिब के दर्शन होते हैं. यहां पहुंचकर कई तरह के होटल और गेस्ट हाउस की भी सुविधा उपलब्ध है, जहां 500-1000 रुपये तक की कीमत में रुक सकते हैं. वहीं गुरुद्वारे में निशुल्क रहने और लंगर की सुविधा मौजूद है.
  • चारधाम यात्रा की तरह हेमकुंड भी एक धार्मिक यात्रा है, जहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री पहुंचते हैं. यह स्थान ज्यादातर समय पर बर्फ से ढका रहता है इसलिए सर्दियों के मौसम में यहां के कपाट बंद रहते हैं. केवल 5 महीनों के लिए ही यहां के कपाट खुलते हैं, इस देश ही वहीं बल्कि दुनियाभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए सुझाव

हेमकुंड साहिब काफी ऊंचाई पर स्थित है इसलिए इस यात्रा के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है, ताकि यात्रा को सुगमता के साथ किया जा सकें. इसमें से कुछ महत्व बिंदु इस प्रकार से हैं जिनका ख्याल रखना चाहिए-

गर्म कपड़े (बर्फबारी और ठंडी हवाओं से बचाव के लिए) – भीषण सर्दी और बर्फबारी से बचने के लिए जरूरी है कि जरूरी है कि यात्रा के लिए कुछ गर्म कपड़ों को रखा जाए. इसके लिए कुछ मोटे वुलेन और जरूरत के कपड़े रखने चाहिए.

अच्छी ग्रिप वाले ट्रेकिंग शूज़ – हेमकुंड यात्रा के एक भाग को पार करने के लिए ट्रेक करना ही होता है. ऐसे में चलने के लिए अच्छी ग्रिप वाले ट्रेकिंग शूज होने जरूरी है. यह जूते जहां एक तरफ दुर्गम रास्तों में चलने में मदद करेंगे वहीं इस ट्रेकिंग अनुभव को भी आरामदायक बनाएंगे.

रेनकोट / छाता (बारिश सामान्य है) – हेमकुंड जाने के लिए रेनकोट और छाता जैसी वस्तुओं को भी अपने साथ रखना जरूरी है. रास्ते में मौसम तेजी से बदलता है ऐसे में बारिश और बर्फबारी से बचने के लिए इन चीजों को जरूर से अपने साथ रखें.

दवाइयाँ और प्राथमिक चिकित्सा – यात्रा पर जाने से पहले कुछ जरूरी दवाईयां और फर्स्ट एड बॉक्स को अपने साथ रखना बिल्कुल भी न भूलें.

ऊँचाई से जुड़ी दिक्कतों के लिए सतर्कता – कई लोगों को ज्यादा ऊंचाई पर जाने से दिक्कतें होने लगती है, ऐसे में इस यात्रा से जुड़े कुछ जरूरी सामानों को अपने साथ जरूर रखना चाहिए.

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