चीन लगभग 25 सालों से लगातार विकास और गतिशीलता का पर्याय बना हुआ है। 1.4 बिलियन की आबादी वाला चीन दुनियाभर में अपने सामानों का डंका बजवा रहा है। चीन के लोग वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक अटूट इंजन की तरह काम कर रहे हैं।मगर, अब चीन का वह अटूट इंजन खराब हो रहा है, जिससे चीनी परिवारों और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरनाक जोखिम पैदा हो रहा है। लंबे समय से वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु रहे चीन में सबकुछ ठीक नहीं चल रही है। हाल के हफ्तों में कई घटनाक्रमों से ये जोखिम और बढ़ गया है।
सबसे पहले खबर आई कि चीन की अर्थव्यवस्था मार्च में काफी धीमी हो गई है, जिससे कड़े कोविड प्रतिबंध हटने के बाद ड्रैगन की मजबूत विस्तार की उम्मीदें खत्म हो गई हैं। एक नए डेटा से पता चलता है कि चीन के निर्यात में लगातार तीन महीनों में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि आयात में लगातार पांच महीनों तक गिरावट दर्ज की गई है। यह चीन में कमजोर संभावनाओं का एक और संकेत है।
फिर खबर आई कि खाने से लेकर अपार्टमेंट जैसी कई सामानों की कीमतें गिर गई हैं, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि चीन तथाकथित अपस्फीति (Deflation) के कगार पर हो सकता है। इसके अलावा चीन में कीमतों में लगातार गिरावट हो सकती है, जो कमजोर वाणिज्यिक गतिविधि की पहचान है।
चीन के हाउसिंग मार्केट तेजी से संकट गहरा रहा है, इसके संकेत में वित्त, निर्माण और घरेलू पैसे में बंटवारा हो गया है। कंट्री गार्डन नाम के एक प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर ने अपने बॉड पर भुगतान करने में चूक कर दी और एक अनुमान के मुताबिक उसो साल की पहली छमाही में 7.6 बिलियन डॉलर तक का नुकसान हुआ।
चीनी श्रमिकों और परिवारों के लिए, इन घटनाओं ने परेशानी बढ़ा दी। दुनिया भर में कमजोर होती चीनी अर्थव्यवस्था ने विश्व के प्रमुख सामानों की मांग में कमी का संकेत दिया है। जैसे चीन में सामानों की मांग की कमी के कारण ब्राजील में सोयाबीन, अमेरिका में मांस से लेकर, इटली में बनी लग्जरी सामानों सहित तेल, खनिज और उद्योग के अन्य निर्माण क्षेत्रों में कम रुचि पैदा हुई है।
ऑस्ट्रेलियाई वित्तीय सेवा फर्म मैक्वेरी के हांगकांग में मौजूद चीन के मुख्य अर्थशास्त्री लैरी हू के मुताबिक, “चीन में आई मंदी निश्चित रूप से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर असर डालने वाली है क्योंकि चीन अब दुनिया में नंबर 1 कमोडिटी उपभोक्ता है। इसका प्रभाव बहुत बड़ा होने वाला है।”
बीसीए रिसर्च के हालिया शोध के मुताबिक, पिछले दशक में चीन वैश्विक आर्थिक विकास का अकेले 40 फीसदी से ज्यादा का भागीदार रहा है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी इसमें महज 22 फीसदी है और यूरोपीय 20 देशों की हिस्सेदारी सिर्फ 9 फीसदी है।
चीन की गिरती अर्थव्यवस्था की वजह से चिंता और बढ़ने वाली है क्योंकि चीनी अधिकारियों के पास अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करने के सीमित विकल्प हैं। दरअसल, चीन के बढ़ते कर्ज का अनुमान राष्ट्रीय उत्पादन का 282 फीसदी हो गया है, जो अमेरिका से भी ज्यादा है।
चीन की सरकार ने उपभोक्ताओं को खर्च करने और व्यवसायों के लिए देश में निवेश के लिए व्यय कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। लेकिन इसकी रुपरेखा अस्पष्ट है, जबकि चीन की स्थानीय सरकारों के बीच यह धारणा बन रही है कि सरकारें बिल में फंस जाएंगी, क्योंकि स्थानीय सरकारें ऋण संकट को लेकर चिंता में हैं। उन्होंने सड़कों, पुलों और औद्योगिक पार्कों के निर्माण के वित्तपोषण के लिए सालों तक आक्रामक रूप से पैसे उधार लिए हैं।