विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को लेकर मॉर्निंगस्टार ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार जून 2023 को समाप्त तिमाही में घरेलू इक्विटी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की हिस्सेदारी का मूल्य 626 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। यह एक साल की पहले अवधि से 20 फीसदी ज्यादा है माना जा रहा है कि भारतीय शेयर मार्केट के अच्छे प्रदर्शन ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के मजबूत शुद्ध प्रवाह को श्रेय दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारतीय इक्विटी में एफपीआई के निवेश का मूल्य जून 2022 तक 523 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर जून 2023 के अंत में 626 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी तिमाही यानी मार्च 2023 तो खत्म हुई तिमाही में एफपीआई के निवेश का मूल्य 542 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 15 फीसदी बढ़ गया है। भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई का योगदान मार्च तिमाही के 17.27 फीसदी से मामूली रूप से बढ़कर 17.33 फीसदी हो गया है। भारतीय शेयर बाजार से मार्च की तिमाही में 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर निकाले गए थे। वहीं, जून में समाप्त तिमाही में विदेशी निवेशकों ने 12.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि यह प्रवाह काफी हद तक अमेरिका में ब्याज दर की दिशा की संभावनाओं, वैश्विक मुद्रास्फीति संख्या के आकार पर निर्धारित करती है। इसके अलावा चीन की मंदी ने भी इसको प्रभावित किया है। ऐसे में अप्रैल से जून की तिमाही में विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार की तरफ सकारात्मक रुख था। अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट कम होने की आशंकाओं के साथ तिमाही की यह सकारात्मक शुरुआत थी। इसके अलावा, ऐसी उम्मीदें भी थीं कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व भविष्य में दरों में बढ़ोतरी की गति को धीमा कर देगा, जो भारतीय शेयर बाजार में विदेशी धन के प्रवाह के लिए अच्छा संकेत है।
पिछले तिमाही भारतीय बाजारों में मिलाजुला कारोबार हुआ था। ऐसे में कुछ समय के लिए घरेलू अर्थव्यवस्था के लचीलेपन की वजह से एफपीआई ने निकासी भी की थी। एफपीआई अप्रैल, मई और जून में शुद्ध खरीदार थे। इस महीने में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में लगातार निवेश किया है। इसके अलावा जुलाई और अगस्त महीने में भी विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में निवेश किया है। कुछ क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मकता खोने के कारण आंकड़ों में मामूली गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि 2023 के लिए विश्व व्यापार यूक्रेन में चल रहे युद्ध, उच्च मुद्रास्फीति, सख्त मौद्रिक नीति और वित्तीय अनिश्चितता सहित कई कारकों के कारण कमजोर है।
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच द्वारा अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग का भी असर देखने को मिला है। यूएस फेडरल ने अपनी जुलाई की बैठक में बेंचमार्क उधार दर को 25 आधार अंकों तक बढ़ा दिया था। यह 2001 के बाद से इसका उच्चतम स्तर है। माना जा रहा है कि इसके आगे ब्याज दर को आगे और बढ़ाया जा सकता है। मॉर्निंग स्टार की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है। इससे एफपीआई से प्रवाह अस्थिर हो सकता है।