भारत का विदेशी व्यापार (वस्तुओं-सेवाओं का कुल निर्यात-आयात) 2023 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में 800.9 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। वैश्विक मांग में मंदी के बावजूद देश के सेवा क्षेत्रों में वृद्धि से यह उपलब्धि हासिल करने में मदद मिली। हालांकि, विदेशी व्यापार का यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि से 2.5 फीसदी कम है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की सोमवार की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी-जून, 2023 में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 1.5 फीसदी बढ़कर 385.4 अरब डॉलर पहुंच गया। एक साल पहले की समान अवधि में देश से 379.5 अरब डॉलर की वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात हुआ था। हालांकि, आयात इस साल की पहली छमाही में 5.9 फीसदी घटकर 415.5 अरब डॉलर रह गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी-जून, 2023 के दौरान देश से सेवाओं का निर्यात 17.7 फीसदी बढ़कर 166.7 अरब डॉलर और आयात 3.7 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 89.8 अरब डॉलर पहुंच गया। हालांकि, वस्तुओं का निर्यात 8.1 फीसदी गिरावट के साथ 218.7 अरब डॉलर रह गया। आयात भी 8.3 फीसदी कम होकर 325.7 अरब डॉलर रह गया।
भारत 240 देशों को निर्यात करता है। पहली छमाही में इनमें 134 देशों में निर्यात घटा है। इनमें अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, बांग्लादेश और जर्मनी शामिल हैं। हालांकि, नीदरलैंड, ब्रिटेन, सऊदी अरब में निर्यात बढ़ा है। देश के निर्यात में 25 फीसदी का योगदान देने वाली 29 उत्पाद श्रेणियों में 11 ने जनवरी-जून, 2023 में सालाना आधार पर सकारात्मक वृद्धि रही। हालांकि, देश के कुल वस्तु निर्यात में 75 फीसदी हिस्सेदारी वाली 29 उत्पाद श्रेणियों में 18 के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई। जनवरी-जून, 2023 में शीर्ष-15 देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा सर्वाधिक रहा। चीन के साथ व्यापार घाटा 38.1 अरब डॉलर पहुंच गया। रूस के साथ यह घाटा 29.6 अरब डॉलर, सऊदी अरब के साथ 12.9 अरब डॉलर, इराक के साथ 12.5 अरब डॉलर और स्विट्जरलैंड के साथ 7.5 अरब डॉलर रहा।
जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मकता खोने के कारण आयात और निर्यात के आंकड़ों में मामूली गिरावट आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को उत्पादों की गुणवत्ता और आपूर्ति शृंखला की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। बड़े देशों के साथ विदेशी व्यापार के मोर्चे पर अपनी नीतियों से समझौता नहीं करना चाहिए।