भारतीय होजरी उद्योग की आय चालू वित्त वर्ष में 18-20 प्रतिशत बढ़कर 36,000 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण मांग में तेजी आने के साथ यह साल होजरी उद्योग के लिए अच्छा रहेगा। क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती मुद्रास्फीति और किसानों की कम आय के कारण पिछले वित्त वर्ष में ग्रामीण मांग प्रभावित हुई, जिसकी घरेलू राजस्व में लगभग आधी हिस्सेदारी है। इस दौरान सालाना आधार पर कुल बिक्री में 30 प्रतिशत की गिरावट हुई थी।
रेटिंग एजेंसी के निदेशक राहुल गुहा ने कहा, ”चालू वित्त वर्ष में शहरी मांग स्थिर रहने की उम्मीद है, जबकि अच्छे मानसून और मुद्रास्फीति में कमी की संभावना से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा खाड़ी देशों में निर्यात के अवसर बढ़ सकते हैं।” संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ हुए व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) से कपड़ा क्षेत्र, और खासतौर से होजरी के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते की वजह से होजरी निर्यात में 2-3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लागत के लिहाज से प्रमुख कच्चे माल सूती धागे की कीमत पिछले दो वित्त वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है। ऐसे में मार्जिन पर असर पड़ा है और पिछले वित्त वर्ष में परिचालन मार्जिन 2.5 प्रतिशत घट गया। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही के बाद से धागों की कीमतों में गिरावट आई है लेकिन इसका पूरा लाभ उपभोक्ताओं को नहीं दिया गया है। क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि मजबूत मांग के बीच होजरी कंपनियां विज्ञापन और विपणन पर अपने खर्च में कटौती करेंगी।