बिहार के शिक्षा विभाग में नए-नए कारनामे होते रहते हैं. लेकिन यहां के कुछ कारनामे वहां पर तैनात शिक्षकों की मजबूरी हैं. ऐसे ही बिहार के दरभंगा जिले का एक विद्यालय है जहां के शिक्षक रोज सुबह-शाम मिस्त्री का काम करते हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला…
दरभंगा जिले में एक ऐसा विद्यालय जहां रोज शिक्षक शाम के वक्त चापाकल खोल लिया करते हैं. फिर सुबह विद्यालय संचालन के वक्त लगा दिया करते हैं. इस विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी है, लेकिन जो भी संसाधन इस विद्यालय में उपलब्ध है, यहां के शिक्षक उन्हें बचाने में लगे हुए हैं. इस विद्यालय में लगे चापाकल से रोज चोरी हो जाती है. इसी वजह से यहां के शिक्षक प्रतिदिन चापाकल का हैंडल खोलकर विद्यालय के कार्यालय में बंद कर देते हैं. जब विद्यालय संचालन किया जाता है उस वक्त उसे चापाकल में सेट किया जाता है.
नदी किनारे स्थित इस विद्यालय के छात्रों पर हर वक्त खतरा मंडराता रहता है. बाउंड्री वॉल के लिए यहां के शिक्षकों का कहना है कि कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक पत्र लिख कर दिए हैं, लेकिन अभी तक अभी कुछ नहीं हो सका है. तो कह सकते हैं कि अभी के समय में भी अगर विद्यालय की ऐसी स्थिति हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा व्यवस्था कितनी सुदृढ़ है. क्या वाकई में जितने दावे किए जाते हैं धरातल पर उतनी हकीकत बयां हो पाती है.
यहां के शिक्षकों को बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है. ऐसे ही प्राथमिक विद्यालय मोहम्मदपुर सिरनिया के शिक्षक मो.अब्बास अली का कहना है रोजाना यहां चापाकल चोरी हो जाया करता है. जिस वजह से हम लोग इसे खोलकर कार्यालय में रख देते हैं. विद्यालय परिसर में बाउंड्री वॉल नहीं है, जिस वजह से हर वक्त एक चिंता बनी रहती है. अधिकारियों को लिखकर देने के बावजूद भी अभी तक उसका समाधान नहीं हो सका है.