भारत और चीन के बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद चला आ रहा है. अब भारत ने चीन के खिलाफ सख्त फैसला लिया है. भारत ने कुछ चीनी स्टील पर एंटी डंपिंग शुल्क लगाया. ये शुल्क पांच साल तक के लिए लगाया गया. इस बारे में इस्पात सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने जानकारी दी. भारतीय बाजार में चीन मुख्य रूप से कोल्ड-रोल्ड कोइल के साथ ही शीट का निर्यात करता है. सरकार पिछले काफी समय से इस्पात आयात की स्थिति पर निगरानी कर रही है. इसके बाद ही चीन पर एंटी डंपिंग शुल्क लगाया गया.
भारत और चीन के बीच स्टील आयात में पिछले साल की तुलना में इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच 62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई. तभी भारत सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया लिया. भारत का सबसे बड़ा इस्पात निर्यातक बनने के लिए चीन ने दक्षिण कोरिया को पछाड़ते हुए 0.6 मिलियन मीट्रिक टन का सेल किया.
भारत में इस्पात आयात की बात करें तो भारत में साल 2020 के दौरान आयात नए रिकॉर्ड पर पहुंचा था. जिसमें 23 प्रतिशत की वृद्धि के बाद यह 2 मिलियन मीट्रिक टन तक हो पहुंच गया. ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका नए व्यापार टैरिफ के लिए बैठक कर रहे हैं.
पहले रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कई स्थानीय निर्माताओं और व्यापारिक अधिकारियों की पैरवी के बाद भी चीन से आयतित चुनिंदा स्टील पर भारत चीन पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी नहीं लगाएगा. यह भी कहा गया था कि मंत्रालय ने पांच साल के लिए चीन से आयातित कुछ स्टील शीट उत्पादों पर सीवीडी लगाने की सिफारिश को खारिज कर दिया. कहा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय ने ये फैसला स्टील का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को ज्यादा कीमतों से बचाना मुख्य उद्देश्य है.