भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट को लगातार तीसरी बार 6.5% पर रखने के निर्णय से रियल एस्टेट बाजार को आवासीय बिक्री में स्थिर वृद्धि की गति को बनाए रखने में मदद मिलने की उम्मीद है. पिछले मई से लगातार छह बढ़ोतरी के माध्यम से केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी, जिससे अप्रैल में रेपो रेट में विराम लगने से रेपो दर 6.5% हो गई थी. जिसे 10 अगस्त को हुई आरबीआई एमपीसी ने बिना परिवर्तन के लागू रखा है.
कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से रेजीडेंशियल रियल एस्टेट का प्रदर्शन मजबूत रहा है. इस अवधि के दौरान सभी बाजारों और सेगमेंट में आवास की बिक्री नई ऊंचाई पर पहुंच गई है. अब आरबीआई के रेपो रेट स्थिर रखने से रियल एस्टेट सेक्टर को गति मिलने की संभावनाओं को बल मिला है. हालांकि, होमलोन की ब्याज दरों में कटौती की पहल बायर्स को और लाभ पहुंचा सकती है, जो बिक्री की गति को तेजी से बढ़ा सकता है.
क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के सचिव दिनेश गुप्ता कहते हैं कि रेपो दर को स्थिर बनाए रखने के आरबीआई के फैसले से निस्संदेह रियल एस्टेट को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन समग्र बाजार विश्वास को मजबूत करने और इसे कमर्शियल और रेजीडेंशियल बायर्स के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए शीघ्र ही ब्याज दरों में कटौती को प्राथमिकता देनी चाहिए. हालांकि, इस समय डेवलपर्स के पास बेहतर फंड और इसकी वैकल्पिक व्यवस्था के कारण रियल एस्टेट सेक्टर मध्यम और लक्जरी वर्ग दोनों के आवास की मांग और आपूर्ति करने में सक्षम है.
आरजी ग्रुप के निदेशक हिमांशु गर्ग ने कहा कि ईएमआई गहन बाजार में त्योहारी सीजन से पहले रेपो रेट को 6.5 पर स्थिर करना रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि कोई भी बदलाव ऋण लेने वालों को प्रभावित करता है. हालांकि, उपभोक्ता भावनाओं को सकारात्मक बढ़ावा देने के लिए इस बार दर में कटौती बेहतर होती और आशा है कि भविष्य में ऐसा हो. फिक्स्ड से फ्लोटिंग ब्याज दरों के बीच स्विच करने के विकल्प से होम लोन लेने वालों को राहत मिलेगी, क्योंकि उन्हें ऋण की अधिकतम समय सीमा में एक बार लोन पुनर्गठन के बाद पुनः किसी बदलाव का मौका नहीं मिलता है.
होम्सफाई रियल्टी के मुख्य वित्तीय अधिकारी शशांक मेवाड़ा ने कहा कि आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखकर निश्चित रूप से चौंकाया है. रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का निर्णय मुद्रास्फीति से निपटने के लिए आरबीआई के सतर्क दृष्टिकोण को दर्शाता है. हालांकि, कुछ लोगों ने बदलाव की उम्मीद की होगी, लेकिन ऐसा लगता है कि अधिकारी उधार लेने और निवेश को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को सावधानीपूर्वक संतुलित कर रहे हैं. रेपो दर पर यह निरंतर रुख बाजार को स्थिर कर सकता है, निवेशकों के बीच विश्वास पैदा कर सकता है. खासकर रियल एस्टेट सेगमेंट में.