उत्तराखंड राज्य के प्रत्येक वाइब्रेंट गांव में पंचायत भवन और खेल का मैदान बनाना अनिवार्य होगा। स्थानीय युवाओं के सांस्कृतिक दल बनाए जाएंगे और उन्हें गाइड का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे उनकी आजीविका साधन जुट सकेंगे। ऐसे स्थानीय युवाओं को एक-दो साल तक मानदेय दिए जाने की व्यवस्था होगी।
मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने वाइब्रेंट गांवों को सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल सुविधाओं से पूरी तरह से चाक चौबंद करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट गांवों को उनकी सांस्कृतिक, प्राकृतिक और पारंपरिक विशिष्टताओं को संरक्षित करते हुए उन्हें सुविधा संपन्न बनाने के प्रयास होने चाहिए।
कहा, सीमा क्षेत्र में बसे इन गांवों के जीवंत होने पर वहां से पलायन कर चुके लोगों के वापसी की संभावनाएं बनेंगी। उन्होंने जिलाधिकारियों को ऐसी व्यावहारिक योजनाएं बनाने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि वाइब्रेंट गांवों में स्थानीय निर्माण कला का प्रयोग किया जाए। कंक्रीट व स्टील का न्यूनत प्रयोग होना चाहिए। क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को संजोए रखते हुए निर्माण कार्य होने चाहिए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि वाइब्रेंट गांवों में तैनात स्वास्थ्य कर्मचारियों को रहने के लिए अच्छी आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा, वहां कर्मचारियों को एक-दो महीने के लिए रोटेशन के आधार पर तैनात किया जाए।