धौलादेवी विकासखंड के बमनसुयाल स्थित नौवीं शताब्दी के ऐतिहासिक त्रिनेत्रेश्वर महादेव एवं एकादश रुद्र मंदिर समूह के झुके पांच मंदिर जल्द अपने वास्तविक स्वरूप में लौटेंगे। पुरातत्व विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। 69 लाख रुपये से इन झुके हुए मंदिरों को सहेजा जाएगा। सौंदर्यीकरण के उपरांत पौराणिक मंदिरों के आसपास के क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
अल्मोड़ा को सांस्कृतिक नगरी यूं ही नहीं कहा जाता है। यहां सैकड़ों साल पुराने, दुर्लभ और ऐतिहासिक मंदिरों की पूरी श्रृखला है। इन्हीं में से एक है बमनसुयाल गांव में नौवीं शताब्दी के 16 दुर्लभ शिव मंदिरों का अनूठा समूह त्रिनेत्रेश्वर महादेव और एकादश रुद्र मंदिर। इस मंदिर समूह में आठ से अधिक मंदिर ऐसे हैं जो समय के साथ झुक गए हैं और इनके अस्तित्व संकट में है। पुरातत्व विभाग जल्द ही पहले चरण में पांच मंदिरों को सहेजकर इन्हें वास्तविक स्वरूप में लौटाएगा। इस कार्य में 69 लाख रुपये खर्च होंगे। इन मंदिरों को वास्तविक शैली में लाया जाएगा।
बमनसुयाल स्थित त्रिनेत्रेश्वर महादेव एवं एकादश रुद्र मंदिर समूह में 16 मंदिर स्थापित हैं जो विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर स्थित मंदिर समूहों से काफी मिलते-जुलते हैं। इन मंदिरों को जागेश्वर मंदिर समूह की तरह ही सहेजा जाएगा।
दुर्लभ त्रिनेत्रेशवर महादेव मंदिर एवं एकादश रुद्र मंदिर का प्रचार-प्रसार नहीं होने से इस क्षेत्र का विकास नहीं हुआ है। यही वजह है कि पर्यटक भी यहां नहीं आते हैं। पर्यटकों को इस अनूठे मंदिर की जानकारी नहीं होने से उनकी यहां आवाजाही कम रहती है। अब पुरातत्व विभाग ने इन मंदिरों को विशेष पहचान दिलाने की पहल शुरू की है।