चारधाम ऑलवेदर, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के बाद परिवहन कनेक्टिविटी के मामले में प्रदेश सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. इस योजना में केवल दो सुरंगे तैयार होने के बाद बदरी और केदार धाम तीर्थयात्रियों के और करीब होंगे।
देहरादून से गुप्तकाशी की दूरी करीब 100 किमी कम हो जाएगी, जबकि गंगोत्री से केदारनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों को नया वैकल्पिक मार्ग मिलेगा। इससे उन्हें 55 किमी का फासला कम तय करना होगा।
दो महत्वकांक्षी योजनाओं के धरातल पर उतरने से यह कमाल होगा। पिछले कई वर्षों से टिहरी जिले के घनसाली से घुत्तु सड़क मार्ग से होकर गुप्तकाशी को रोड कनेक्टिविटी से जोड़ने का प्रस्ताव शासन में विचाराधीन है। सीमा सड़क संगठन(बीआरओ) भी इस प्रस्ताव को सामरिक दृष्टि से बनाए जाने के पक्ष में है।
लोनिवि इस मार्ग का स्थलीय निरीक्षण करा चुका है। अब इस योजना पर नए सिरे मंथन शुरू हो गया है। वन संरक्षण अधिनियम में नए संशोधन के तहत सीमा से 100 किमी एरियल दूरी के दायरे में राष्ट्रीय सुरक्षा व सामरिक परियोजनाओं को राहत मिलेगी। इससे इस परियोजना को बनाने में आसानी होगी।
घुत्तु से 11 किमी की सड़क बनानी होगी
घनसाली से घुत्तु तक 31 किमी मार्ग को चौड़ीकरण व सुधारीकरण करना होगा। घुत्तु से रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी तक करीब 11 किमी की एक टनल बनाए जाने से केदारनाथ जाने की दूरी कम हो जाएगी।
टिहरी झील तक टनल निर्माण भी प्रस्तावित
देहरादून जिले रानीपोखरी से टिहरी जिले की कोटी कॉलोनी यानी टिहरी झील के पास तक 35 किमी टनल बनाने की योजना है। दून से टिहरी जाने के लिए करीब 150 किमी की दूरी तय करनी होती है। रेलवे बोर्ड के साथ मिलकर इस योजना रेल-सड़क नेटवर्क के तौर पर तैयार करने पर विचार हो रहा है।
दून से गुप्तकाशी की दूरी होगी 120 किमी
बुढ़ा केदार, घुत्तु, त्रियुगीनारायण पैदल मार्ग को मोटर मार्ग बनाने और घनसाली-घुत्तु-गुप्तकाशी रोड योजना की शासन से लगातार पैरवी कर रहे इंजीनियर आरपी उनियाल के मुताबिक, दोनों टनल व वैकल्पिक मार्ग बनने से गुप्तकाशी की दूरी 120 किमी कम हो जाएगी। वर्तमान में देहरादून से ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग से होते हुए 220 किमी फासला तय करना होता है।
बदरीनाथ की दूरी भी होगी कम
गंगोत्री के तीर्थयात्रियों के लिए केदारनाथ और बदरीनाथ की दूरी भी कम हो जाएगी। उन्हें 55 किमी की दूरी कम तय करनी होगी। विभागीय अधिकारियों को घनसाली-घुत्तु मार्ग के चौड़ीकरण व प्रस्तावित टनल की योजना पर विचार करने के निर्देश दे दिए गए हैं। यह बात सही है कि इस योजना के बनने से धामों की दूरी कम हो सकती है। टिहरी तक टनल बनाए जाने की योजना पर भी विचार हो रहा है।