साल 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार नरगिस मोहम्मदी को दिया गया. नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। नोबेल कमिटी ने कहा कि नरगिस को इसके लिए निजी कीमत चुकानी पड़ी। उन्हें अब तक 13 बार अरेस्ट किया जा चुका है। यही नहीं 5 बार दोषी ठहराया जा चुका है। नरगिस ने 31 साल जेल में बिताए हैं। यही नहीं उन्हें 154 कोड़े भी मारे गए हैं।
नरगिस मोहम्मदी को जब शांति का पुरस्कार दिया जा रहा है, उस समय भी वह अभी जेल में हैं। ईरान में सितंबर 2022 में एक युवा कुर्दिश महिला महसा जिना अमीनी की ईरान की पुलिस की हिरासत के दौरान मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद पूरे ईरान में जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। लोगों ने ईरान की सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता देने की मांग की। इस प्रदर्शन में लाखों की तादाद में ईरानी लोगों ने हिस्सा लिया था।
ईरानी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर अत्यचार किया और 500 से ज्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए हैं। इसके अलावा हजारों की तादाद में लोग घायल हो गए हैं। क्रूरता का आलम यह रहा कि कई लोगों की आंख रबर की बुलेट लगने से खराब हो गई। ईरानी पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर ये गोलियां चलाई थीं। यही नहीं प्रदर्शन को कुचलने के लिए अब तक 20 हजार से ज्यादा लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है। इस पूरे प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं की आजादी का समर्थन किया और नरगिस मोहम्मदी के अभियान को अपना पूरा समर्थन दिया।
नरगिस मोहम्मदी पर ईरानी पुलिस ने ईरान सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने का भी आरोप लगाया है। वह डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर की उप प्रमुख हैं। यह एक गैर सरकारी संगठन है जिसे शिरिन एबादी ने बनाया था। शिरिन को भी साल 2003 में नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है। नरगिस लगातार महिलाओं के दमन और उनके साथ होने वाले संस्थागत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। साल 1990 के दशक में नरगिस फिजिक्स की स्टूडेंट थीं और इसी दौरान उन्होंने महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया था।