इजराइल और हमास एक बार फिर से आमने-सामने हैं. फलस्तीनी आतंकी ग्रुप हमास ने गाजा स्ट्रिप से इजराइल पर मिसाइल हमला बोला है. इसकी वजह से युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं. हैरानी वाली बात ये है कि हमास ने एक या दो मिसाइलों से हमला नहीं बोला है, बल्कि उसने दावा किया है कि कई हजार रॉकेट्स इजराइल के ऊपर दागे गए हैं. एक तरह से हमास ने इजराइल के ऊपर अचानक हमला बोला है, जिसके लिए वह तैयार नहीं था.
मिडिल ईस्ट में मौजूद इजराइल में सुबह 7 बजे से ही सायरन बजने लगे. ये सायरन तब बजते हैं, जब देश के किसी हिस्से के ऊपर हवाई हमला होता है. हमास ने सिर्फ हवाई हमला ही नहीं किया है, बल्कि जमीनी घुसपैठ भी की गई है. गाजा स्ट्रिप से सटे इजराइली गांवों और कस्बों में चरमपंथियों ने घुसकर गोलीबारी की है. इसमें कई सारे इजराइली नागरिकों और सैनिकों की मौत हुई है. ऐसे में आइए जानते हैं कि हमास क्या है और उसने इजराइल पर हमला क्यों बोला.
हमास की स्थापना 1980 के दशक में हुई. ये एक फलस्तीनी चरमपंथी संगठन और एक राजनीतिक पार्टी है. 1987 में हमास ने अपनी ताकत का परिचय करवाया, जब इसने इजराइल के खिलाफ फलस्तीनी लोगों की आवाज बुलंद करने के लिए पहले इंतिफादा की शुरुआत की. अरबी में हमास का मतलब ‘इस्लामिक रेजिसटेंस मूवमेंट’ होता है. हमास की स्थापना शेख अहमद यासीन ने की थी. वह 12 साल की उम्र से ही व्हीलचेयर पर थे.
एक तरह से शेख अहमद यासीन इस चरमपंथी ग्रुप के धार्मिक नेता थे. 2004 में इजराइली हमले में उनकी मौत हो गई. 1990 के दशक से ही हमास ने खुद को एक सैन्य संगठन के तौर पर स्थापित करने का काम किया है. हमास गाजा स्ट्रिप से ऑपरेट करता है. यहां पर वह सरकार चलाता है और लोगों की मदद करता है. इसका एक मिलिट्री विंग है, जिसका नाम ‘इज्जेदीन अल-कासम ब्रिगेड’ है. ये ब्रिगेड ही इजराइल के ऊपर हमला करने का काम करती है.
दरअसल, 1948 में इजराइल के बनने के साथ ही अरब मुल्कों में नाराजगी बढ़ी. जॉर्डन, मिस्र, सीरिया सभी अरब मुल्क फलस्तीनी सत्ता में हिस्सेदार थे. 1964 में इजराइल का मुकाबला करना के लिए फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) का गठन किया गया. यासीर अराफात 1980 और 1990 के दशक में पीएलओ के सबसे लोकप्रिय नेता थे. उनकी पार्टी का नाम फाताह पार्टी था, जिसने 1996 में गाजा और वेस्ट बैंक में हुए पहले चुनाव में जीत हासिल की.
गाजा और वेस्ट बैंक के क्षेत्र को ‘फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ के तौर पर जाना जाता है, जहां सरकार चलाने की जिम्मेदारी फलस्तीनियों के पास है. ‘फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से मान्यता भी मिली हुई है. 2004 में अराफात की मौत के बाद ‘फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ और फाताह पार्टी का कंट्रोल महमूद अब्बास के पास गया. इसी दौरान हमास ने अपनी मिलिट्री विंग को मजबूत करना जारी रखा और उसे पॉपुलैरिटी भी मिल रही थी.
2005 में जब दूसरी बार चुनाव हुए, तो ‘फलस्तीन नेशनल अथॉरिटी’ के राष्ट्रपति चुनाव में फाताह पार्टी को जीत मिली. मगर गाजा स्ट्रिप में हमास जीत गया. हालांकि, गाजा में भी फाताह पार्टी की सरकार चलनी थी, क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव उसने जीता था. मगर 2006 में गाजा ने यहां तख्तापलट किया और अपनी सरकार बना ली. 2007 से इसने पूरी तरह से गाजा पर कब्जा कर लिया. जहां गाजा स्ट्रिप में हमास की सरकार है, तो वेस्ट बैंक में फाताह पार्टी की.
दरअसल, इस विवाद की वजह अल-अक्सा मस्जिद कंपाउंड है. हमास के मिलिट्री कमांडर मोहम्मद दीफ ने ‘ऑपरेशन अल-अक्सा स्टोर्म’ का ऐलान किया है. ये एक नया ऑपरेशन है, जिसका मकसद संवेदनशील माने जाने वाले अल-अक्सा कंपाउंड को आजाद कराना है. अल-अक्सा मस्जिद यरुशलम शहर में है. हाल के दिनों में यहां यहूदी लोग अपने पवित्र त्योहार को मनाने के लिए पहुंचे हैं. इस कंपाउंड में ही टेंपल माउंट है, जहां यहूदी प्रार्थना करते हैं.
मोहम्मद दीफ ने कहा है कि इजराइल के खिलाफ ये हमास के हमले का पहला कदम है. हम दुश्मन को चेतावनी देते हैं कि वह अल-अक्सा मस्जिद के खिलाफ आक्रामकता नहीं दिखाए. दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हमास ने वेस्ट बैंक में रहने वाले फलस्तीनी लोगों से कहा है कि वे बिना किसी डर के इजराइल पर हमला करें. उसने लोगों को भड़काते हुए कहा है कि सड़कों पर उतर जाएं और हमले की शुरुआत कर दें.