देहरादून के पटेल भवन में हुई इस बैठक में डीजीपी अशोक कुमार ने सभी पुलिस कप्तान को प्रोफेशन पुलिसिंग को बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने हर माह एडीजी कानून व्यवस्था की समीक्षा करने के निर्देश दिए। कहा कि अच्छा कार्य करने वाले जिलों के कप्तान को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने ऑपरेशन प्रहार के तहत हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, उत्तरकाशी, चंपावत और पिथौरागढ़ की कार्रवाई पर प्रशंसा की। कहा कि उत्तराखंड पुलिस एप स्मार्ट पुलिसिंग की ओर अच्छा कदम है। इस पर जो भी सुविधाएं और सेवाएं हैं उन्हें आमजन तक पहुंचाने के लिए पुलिस को जागरूकता कार्यक्रम बढ़ाने होंगे। साथ ही गौरा शक्ति मॉड्यूल में रजिस्ट्रेशन बढ़ाने और कॉल बैक प्रतिशत बढ़ाने को भी डीजीपी ने कहा।
डीजीपी ने दोनों रेंज प्रभारियों को अपनी-अपनी रेंज में एक से तीन साल की लंबित विवेचनाओं की निगरानी करने के निर्देश दिए। कहा कि वर्तमान में साइबर क्राइम बढ़ रहा है। इस पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी पुलिस कप्तान की है। इसकी नियमित निगरानी की जिम्मेदारी आईजी निलेश आनंद भरणे को दी। कहा कि हर जिले में साइबर थाना स्थापित करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। अभी तक प्रदेश में दो साइबर थाने संचालित होते हैं। इनमें एक देहरादून और दूसरा ऊधमसिंहनगर में है।
डीजीपी ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के भीतर राजमार्ग काफी बदल गए हैं। नए राजमार्ग का निर्माण भी हुआ है। सड़क सुरक्षा के मद्देनजर दुर्घटना संभावित क्षेत्रों व ड्यूटी प्वाइंट को चिह्नित कर लिया जाए। नशे की हालत में वाहन चलाने वाले, रैश ड्राइविंग और स्टंट करने वालों पर प्रभावी अंकुश लगाया जाए। ऑनलाइन चालान नहीं किया जा सकता तो लोगों के नकद चालान करें। पर्वतीय इलाकों में सीसीटीवी कैमरों की कवरेज बढ़ाई जाए।