पवन खेड़ा कांग्रेस के जाने माने नेता. 23 फरवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में भाग लेने के लिए रायपुर जा रहे थे. तभी असम पुलिस ने उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि कोर्ट से उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई.
सुनवाई के दौरान CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली में सक्षम मजिट्रेट के समाने पेश किए जाने पर खेड़ा को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दी. इसका मतलब ये है कि खेडा को नियमित जमानत के लिए याचिका दायर करने तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाएगी. ये आदेश 28 फरवरी यानी मंगलवार तक प्रभावी रहेगा.
कोर्ट ने असम पुलिस और यूपी पुलिस को पवन खेड़ा की FIR को क्लब करने की याचिका पर नोटिस भी जारी किया है.आपको बता दें, पवन खेड़ा पर आरोप है कि उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजक टिप्पणी की है. इसकी को लेकर उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तरह केस दर्ज किया गया है. सुनवाई के दौरान पवन खेड़ा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनु सिंघवी ने कहा कि अरेस्ट करने के पहले पुलिस ने CrPC के सेक्शन 41 A के तहत खेड़ा को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई. बिना नोटिस दिए अरेस्ट नहीं किया जा सकता.
वकील सिंघवी ने ये भी कहा कि केस के मुताबिक अपराध के लिए 3 से 5 साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है. और अर्नेश कुमार मामले में दिए गए फैसले के अनुसार अरेस्ट करने की कोई आवश्यकता नहीं है. इन सबका जवाब पाने के लिए हमें गिरफ्तारी के जुड़ी कानूनी प्रक्रिया को समझना होगा. दरअसल, सीआरपीसी के सेक्शन 41 के तहत पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट ऑर्डर या वारंट के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है. या यू कहें बिना सूचना दिए पुलिसी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है.इस सेक्शन तहत उन लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है जिनके खिलाफ संज्ञेय अपराध की शिकायत हो. या ऐसे लोगों को भी गिरफ्तार किया जा सकता है जिन पर उन धाराओं के तहत शिकायत दर्ज की गई हो जिसमें सात साल की सजा का प्रावधान हो.