झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया कि आर्बिट्रेटर कॉन्ट्रैक्ट से अधिकार प्राप्त करता है और इस प्रकार, कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों की अवहेलना करते हुए उसके द्वारा पारित निर्णय मनमाना प्रकृति का होगा. जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की पीठ ने टिप्पणी की कि कॉन्ट्रैक्ट राशि से जानबूझकर हटना न केवल अपने अधिकार की अवहेलना या आर्बिट्रेटर की ओर से कदाचार प्रकट करने के लिए है, बल्कि यह दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के समान भी हो सकता है.
अदालत ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए एंड सी अधिनियम) की धारा 37 के तहत अवार्ड देनदार द्वारा दायर अपील पर विचार करते हुए उसके द्वारा उठाए गए तर्क को खारिज कर दिया कि आर्बिट्रेटर परिसीमा के बिंदु की जांच करने के लिए कर्तव्यबद्ध है, चाहे आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के समक्ष उसके द्वारा कोई भी दलील दी गई हो. परिसीमन के आधार पर अधिनिर्णय के खिलाफ की गई चुनौती को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि परिसीमन के संबंध में याचिका को अपीलकर्ता द्वारा विशेष रूप से आर्बिट्रेटर के समक्ष उठाया जाना आवश्यक है.
दावेदार/प्रतिवादी मैसर्स राजधानी कैरियर्स प्राइवेट लिमिटेड को अपीलकर्ता सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड द्वारा कोयले के परिवहन और लदान के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया. कॉन्ट्रैक्ट के तहत किए गए सुरक्षा जमा की वापसी के लिए राजधानी कैरियर्स द्वारा उठाए गए दावे को आर्बिट्रेशन के लिए भेजा गय. आर्बिट्रेटर ने अधिनिर्णय पारित किया, जिसमें सेंट्रल कोलफील्ड्स को रोकी गई जमानत राशि को दावेदार को ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया गया.
अपीलकर्ता सेंट्रल कोलफील्ड्स ने जिला न्यायालय के समक्ष ए&सी एक्ट की धारा 34 के तहत आर्बिट्रेशन निर्णय को चुनौती दी, जिसने आर्बिट्रेशन निर्णय को बरकरार रखा। इसके खिलाफ, सेंट्रल कोलफील्ड्स ने झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष ए एंड सी एक्ट की धारा 37 के तहत अपील दायर की. सेंट्रल कोलफील्ड्स ने तर्क दिया कि दावेदार द्वारा उठाए गए दावे समय-सीमा से बाधित है और आर्बिट्रेटर ने परिसीमा के बिंदु पर कोई निष्कर्ष वापस नहीं किया. आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल का अवलोकन करते हुए हाईकोर्ट ने माना कि अधिनिर्णय में परिसीमा के किसी तर्क का उल्लेख नहीं किया गया.
इसके लिए अपीलकर्ता सेंट्रल कोलफील्ड्स ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के समक्ष उसके द्वारा उठाए गए किसी भी याचिका के बावजूद परिसीमा के बिंदु की जांच करने के लिए बाध्य है. सेंट्रल कोलफील्ड्स ने आगे तर्क दिया कि चूंकि दावेदार आर्बिट्रेटर के समक्ष ‘पूर्णता प्रमाण पत्र’ प्रस्तुत करने में विफल रहा, इसलिए सुरक्षा जमा की वापसी के संबंध में दावा अनुबंध में निहित प्रासंगिक खंड के तहत वर्जित है.
आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा कि आर्बिट्रेटर ने निष्कर्ष निकाला कि चूंकि दावेदार का प्रदर्शन संतोषजनक था, सुरक्षा धन को कार्य पूरा होने के बाद जारी किया जाना चाहिए. यह मानते हुए कि सुरक्षा जमा जारी करने के लिए संबंधित प्राधिकरण से ‘पूर्णता प्रमाणपत्र’ की आवश्यकता है। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने राय दी कि संबंधित खंड के तहत ठेकेदार को इस तरह के सर्टिफिकेट को संलग्न करने की आवश्यकता नहीं है.
यह मानते हुए कि समझौते में किसी विशेष शर्त की व्याख्या आर्बिट्रेटर के अधिकार क्षेत्र में है, हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि आर्बिट्रेटर द्वारा लिया गया दृष्टिकोण निश्चित रूप से सबूतों की सराहना और पक्षकारों के बीच समझौते की व्याख्या पर आधारित है. इसके अलावा, यह संभावित/व्यावहारिक विचार है, जिसमें ए एंड सी एक्ट की धारा 34 के तहत न्यायालय के सीमित क्षेत्राधिकार को देखते हुए किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. इस तरह कोर्ट ने अपील खारिज कर दी.