संसद द्वारा पारित कंपनी अधिनियम, 2013 को 29 अगस्त, 2013 को भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी. कंपनी अधिनियम, 2013; भारत में कॉरपोरेट गवर्नेंस और निगरानी प्रक्रियाओं को विश्व में प्रचलित अच्छे मापदंडों के अनुसार बनाना चाहता है. कंपनी अधिनियम, 2013 को 30 अगस्त को भारत में लागू किया गया था. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम, 2013 के 470 वर्गों में से 326 अनुभागों को अधिसूचित कर दिया है, जबकि बाकी 144 अनुभागों को अभी अधिसूचित किया जाना बाकी है.
कंपनी अधिनियम, 2013; भारत में कंपनियों से सम्बंधित कानूनों को मजबूत और जरुरत के अनुसार संशोधित करता है. यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधान भारत में अब भी लागू हैं. मार्च 31, 2016 तक; कंपनी अधिनियम- 2013 और कंपनी अधिनियम-1956 के अंतर्गत भारत में कुल पंजीकृत कंपनियों की संख्या,15,43,712 थी जिसमें कम्पनियाँ 285845 बंद हैं.
नए कंपनी अधिनियम, 2013 ने देश के मौजूदा आर्थिक माहौल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, कंपनी अधिनियम, 1956 को कुछ हद तक प्रतिस्थापित कर दिया है. नया कंपनी अधिनियम, 2013; नए उद्यमियों को ज्यादा अवसर प्रदान करने के साथ-साथ कंपनियों को अपने संचालन में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है.
कंपनी अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं;
1. “निष्क्रिय कंपनियों” के रूप में नया कंसेप्ट सामने आया है.ये वे कम्पनियाँ होतीं हैं जो लगातार दो वर्षों तक कारोबार से नहीं जुड़ी हैं.
2. राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल की शुरूआत के गयी है.
3. कंपनियों को सरकारी अनुमोदन आधारित शासन की बजाय स्वयं पारदर्शिता के साथ व्यापार और उत्पादन को बढ़ावा/अनुमोदन देने की छूट होगी.
4. कंपनियों को अपने डाटा और अन्य सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखना शुरू करना होगा.
5. देश की सीमा के भीतर और बाहर विलय और अधिग्रहण की प्रक्रियाओं को तेजी से निपटाना होगा.
6. जिन कंपनियों की शुद्ध संपत्ति 1 करोड़ है या उससे कम, वहां पर कम्पनी के परिसमापक (एक कम्पनी या फार्म के कामों को बंद करने के मदद करने वाला व्यक्ति) को निर्णायक भूमिका निभाने का अधिकार होगा.
7. “एक व्यक्ति कंपनी” की अवधारणा शुरू की गयी है.
8. कम्पनी में स्वतंत्र निदेशकों की अवधारणा को शामिल किया गया है.
9. कुछ विशिष्ट कंपनियों के लिए महिला निदेशक की नियुक्ति अनिवार्य की गयी है.
10. जो कम्पनियाँ कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के नियमों के अंतर्गत आतीं हैं उन्हें CSR कमेटी का गठन कर CSR गतिविधियों के लिए नीतियां बनानी होंगी.
11. अब कंपनियों को यह बताना होगा कि कम्पनी में कौन मुख्य प्रबंधक है और कौन कंपनी का प्रमोटर है.
12. निदेशक की कम्पनी के शेयरधारकों, कर्मचारियों, समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारियों को परिभाषित किया गया है.
13. सूचीबद्ध कंपनियों को छोटे शेयरधारकों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक निदेशक नियुक्त करना आवश्यक है.
14. कंपनी अधिनियम, 2013 ने यह कर दिया है को कोई व्यक्ति अधिकत्तम 20 कंपनियों का ही निदेशक हो सकता है जिनमे से 10 कम्पनियाँ सार्वजनिक क्षेत्र की हो सकती हैं.
15. मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना जांच के दौरान दस्तावेजों को खोजने और जब्त करने का अधिकार जाँच टीम को दिया गया है.
16. जांच के दौरान; कंपनी के अवैध लाभ और कम्पनी की संपत्तियों को फ्रीज़ करने का अधिकार जाँच टीम को दिया गया.
17. जनता से जमा राशि स्वीकार करने के लिए कम्पनियों के लिए ठोस नियम बनाए गए.
18. बड़ी कंपनियों के लिए आंतरिक लेखा परीक्षण कराने की सुविधा.
19. ऑडिटर गैर ऑडिट सेवाओं को करने के लिए अधिकृत नहीं है यदि वह नियम का पालन नही कर्ता है तो सिविल या क्रिमिनल केस दाखिल करने का प्रावधान.
20. राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) का गठन किया जाना है.
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम, 2013 को कॉर्पोरेट जगत के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बनाया है. यदि कंपनी अधिनियम, 2013 अपने वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल हो जाता है तो यह देश के विकास की गति को बढ़ावा देगा. कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत दंडनीय अपराधों के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन किया है ताकि मामलों का निपटारा शीघ्र किया जा सके.